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करवानुं छे अने ( शाश्वत ) पर्वत, पृथ्वी तथा विमानतुं मान प्रमाणांगुले करवानुं छे.” (१) पालक नामनुं यानविमान एटले सौधर्मेंद्रना आभियोगिक पालक नामना देवे करेलं एटले विकुर्वेलु यान एटले गमन, तेने माटे जे विमान ते यानविमान, अथवा जेनावडे जवाय ते यान, अने यानरूपी जे विमान ते यानविमान, तेनुंबीजुं नाम पारियानिक कहेवाय छे. (३)। | . 'अत्थीत्यादि' अस्ति एटले छ, केटलाक नारकीओनी एक पल्योपमनी स्थिति, ए प्रमाणे करीने (ज्ञानवडे जाणीने) में तथा वीजा जिनेश्वरोए कहेली छे. आ चोथा पाथडामा रहेला नारकीओनी मध्यम स्थिति जाणवी. (१), एज प्रमाणे एक सागरोपमनी उत्कृष्ट स्थिति तेरमा पाथडामा रहेला नारकीओनी जाणवी. (२) असुरेंद्रने वर्जीने एटले चमरेंद्र अने वलींद्रने वर्जीने बाकीना दश नीकायना'भोमेज्जाणं'भूमि एटले रत्नप्रभा नामनी पृथ्वीने विपे थवापणुं (होवापणुं) होवाथी भवनपति देवोनी एक पल्योपमनी मध्यम स्थिति जाणवी. केमके तेमनी (नव नीकायनी) उत्कृष्ट स्थिति तो कांइक ओछी वे पल्योपमनी कही छे. ते विषे का छे के-" नव नीकायमां दक्षिण तरफना भवनपतिनी उत्कृष्ट स्थिति दोढ पल्योपमनी छे अने उत्तर तरफना भवनपतिनी उत्कृष्ट स्थिति कांइक ओछी वे पल्योपमनी छे." (६). जेमनुं आयुष्य असंख्याता वपर्नु छ तेवा जे संज्ञी एटले मनवाळा पंचेंद्रिय तियंच योनि एटले तिर्यंचो छ तेओमांना केटलाक एटले जेओ हैमवंत अने ऐरण्यवंत क्षेत्रमा उत्पन्न थयेला युगलिक होय छे, तेओनी एक पल्योपमनी स्थिति छे. (७). एज प्रमाणे मनुष्य संबंधी सूत्र पण जाणवू. तेमा विशेष ए के-गर्भाशयने विषे जेमनी उत्पत्ति होय ते गर्भव्युत्क्रांतिक कहेवाय छ, अर्थात् संमृर्छिम मनुष्य नहीं. (८). वानमंतर देवो एटले देवीओ नहीं पण देवो ज जाणवा, केमके देवीओनी अर्ध पल्योपमनी स्थिति कहेली छे. (९). ज्यो