________________
H
हवे चार लाखमुं स्थान कहे छे
मू०--धायइखंडे णं दीवे चत्तारि जोयणसयसहस्साइं चक्कवालविक्खंभेणं पन्नत्ते।१॥४००००० ।। | ॥ सूत्रम्-१२७॥
मूलार्थः-धातकीखंड नामना द्वीपनो गोळ विष्कंभ चार लाख योजननो छ (१)॥ ४०००००॥ सूत्र-१२७ ॥ . हवे पांच लाखमुं स्थान कहे छे___ मू०-लवणस्स णं समुदस्स पुरच्छिमिल्लाओ चरमंताओ पञ्चच्छिमिल्ले चरमंते एस णं पंच जोयणसयसहस्साइं अबाहाए अंतरे पन्नत्ते । १॥ ५००००० ॥ सूत्रम्-१२८ ॥ ___ मूलार्थ:-लवणसमुद्ना पूर्व तरफना छेडाथी पश्चिम तरफना छेडा सुधी पांच लाख योजन- अबाधाए आंतरं का छे (१) ।। ५०००००॥
टीकार्थः-'लवणेत्यादि'-एक लाख जंबूद्वीपना अने लवणसमुद्रना (वे बाजुना मळीने) चार लाख मळी पांच लाख थाय छे (१) ॥५०००००॥सूत्र-१२८॥ ___हवे छ लाखमुं स्थान कहे छे--
मू०--भरहे ण राया चाउरंत चकवट्टी छ पुवसयसहस्साइं रायमज्झे वसित्ता मुंडे भवित्ता