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________________ कह्या छे (६) । अरिष्टनेमि अरिहंत कुमारपणामांत्रण सो वर्ष अने अनगारपणामां सात सो वर्ष रहेला होवाथी कुल आयु एक हजार वर्षेनुं थाय छे (७)। पद्मद्रह ए श्रीदेवीनो निवास छे अने हिमवान वर्षधर पर्वतनी उपर रहेलो छे, तथा पुंडरीकद्रह ए लक्ष्मीदेवीनो निवास छ अने शिखरी वर्षधर पर्वत उपर रहेलो छ (१०) (१०००)॥ सूत्र-११३ ॥ हवे अग्यार सोमुं स्थान कहे छे-- मू०--अणुत्तरोववाइयाणं देवाणं विमाणा एकारस जोयणसयाइं उड़े उच्चत्तेणं पन्नत्ता।१। पासस्स णं अरहओ इक्कारस सयाइं वेउव्वियाणं होत्था । २॥११००॥ सूत्रम्-११४ ॥ मूलार्थः-अनुत्तरोपपातिक देवोना विमानो अग्यार सो योजन ऊंचा कह्या छे (१) । श्री पार्श्वनाथ अरिहंतने अग्यार सो वैक्रियलब्धिवाळा साधुओ हता (२) ॥ ११०० ॥ सूत्र-११४ ।। हवे वे हजारमुं स्थान कहे छ. मू०-महापउममहापुंडरीयदहाणं दो दो जोयणसहस्साइं आयामेणं पन्नत्ता ।१। २०००॥ सूत्रम्-११५॥ मूलार्थः-महापद्म अने महापुंडरीक नामना द्रहो वबे हजार योजन लांबा कह्या छ (१)॥ २००० ॥ टीकार्थ-महापद्म अने महापुंडरीक नामना द्रहो महाहिमवंत अने रुक्मी वर्षधर पर्वत उपर रहेला छे अने ते HARA
SR No.010536
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJethalal Haribhai
PublisherJain Dharm Prasarak Sabha
Publication Year1939
Total Pages681
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size44 MB
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