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सव्वे विणं हरिहरिस्सहकूडा वक्खारकूडवजा दस दस जोयणसयाई उड्ढे उच्चत्तेणं पन्नत्ता, मूले दस दस जोयणसयाई विक्खंभेणं पन्नत्ता ।५। एवं बलकूडा वि नंदणकूडवज्जा ।६। अरहा वि अरि| ठुनेमी दस वाससयाइं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे बुद्धे जाव सव्वदुक्खप्पहीणे .।७। पासस्स णं
अरहओ दस सयाइं जिणाणं होत्था ।८। पासस्स णं अरहओ दस अंतेवासीसयाइं कालगयाइं जाव सवदुक्खप्पहीणाइं ।९। पउमद्दहपुंडरीयद्दहा य दस दस जोयणसयाइं आयामेणं पन्नत्ता ॥१०॥१०००॥ सूत्रम्--११३ ॥ __मूलार्थ:-सर्वे ( नवे ) ग्रैवेयक विमानो एक एक हजार योजन ऊंचा कह्या छ (१)। सर्वे यमक पर्वतो एक एक || हजार योजन ऊंचा कया छे, एक एक हजार गाउ उद्वेधवाळा ( उंडा) कह्या छ, मूळंमा एक एक हजार योजन आयाम-|| विष्कंभवडे कह्या छ (२)। एज प्रमाणे चित्रकूट अने विचित्रकूट पण कहेवा (३)। सर्वे वृत्तवैताढ्य पर्वतो एक एक हजार योजन ऊंचा कह्या छ, एक एक हजार गाउ ऊंडा कह्या छे, मळमां एक एक हजार योजन विष्कंभवाळा कह्या छे, सर्वत्र सरखा पालाना संस्थाने (आकारे) रहेला छे (४)। वक्षस्कार परना बीजा कूटने वर्जीने सर्वे हरिकूट अने हरिस्सहकूट एक एक हजार योजन उंचा कह्या छे अने मळमां एक एक हजार योजन विष्कंभवाळा कह्या छे (५)। एज