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विपयानुक्रम॥
समवायाङ्ग
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(१००) दश दशमिका नामनी भिक्षुप्रतिमाना | हता, सर्वे महाहिमवंत अने रूपी नामना वर्षधर पर्वतो सो दिवस थाय छे, शतभिषक नामना नक्षत्रने सो ताराओ बसो बसो योजन ऊंचा अने बसो बसो गाउ पृथ्वीमां ऊंडा छे, श्रीसुविधिनाथ सो धनुप ऊंचा हता, श्रीपार्श्वनाथ प्रमु छे, आ जंबूद्वीपमा बसो कंचनगिरिओ छे. सो वर्षनुं कुल आयुष्य पाळी सिद्ध थथा, ए ज प्रमाणे । (२५०) पद्मप्रभस्वामी अढी सो धनुष ऊंचा हता, सुधर्मास्वामी पण सो वर्षनुं आयुष्य पाळी सिद्ध थया, सर्वे असुरकुमार देवोना प्रासादावतंसक अढी सो योजन उंचा छे. दीर्घवैताब्य पर्वतो सो सो गाउ ऊंचा छे, सर्वे क्षुल्लहिमवंत (३००) श्रीसुमतिस्वामी त्रण सो धनुष ऊंचा हता, अने शिखरी पर्वतो सो सो योजन ऊंचा छे, अने सो सो श्रीअरिष्टनेमि प्रभु त्रण सो वर्ष कुमारपणे रहीने प्रबजित गाउ पृथ्वीमा ऊडा छे, सर्वे कंचनगिरिओ सो सो योजन थया. वैमानिक देवोना विमानना किल्ला त्रण सो ऋण सो ऊंचा, सो सो गाउ पृथ्वीमां ऊंडा अने सो सो योजन योजन ऊंचा छे, श्रीमहावीरस्वामीने त्रण सो चौदपूर्वी हता, मूळमां विष्कंभवान छे.
पांच सो धनुप प्रमाणवाळा चरमशरीरी सिद्धिपदने पाम्या होय . - (१५०) चंद्रप्रभ अरिहंत दोढसो धनुष ऊंचा हता, तेना जीवप्रदेशनी अवगाहना साधिक त्रण सो धनुषनी होय छे. ' आरण तथा अच्युत कल्पमा दोढसो विमानो छे. (बे मळीने (३५०) श्रीपार्श्वनाथ स्वामीने साडा त्रण सो त्रण सो छे. इंद्र बेनो एक छे.)
चौदपूर्वी हता, श्रीअभिनंदनस्वामी साडात्रण सो धनुष (२००) श्रीसुपार्श्वनाथ स्वामी बसो धनुष ऊंचा | ऊंचा हता,
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