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मुहूर्त छन्नु अंगुली छायावाळु होय छे.
(९७) मेरु पर्वतना पश्चिमना छेडाथी गोस्तूभ पर्वतना पश्चिम छेडा सुधी सत्ताणु हजार योजननुं आंतरं छे, एज प्रमाणे वाकीनी त्रणे दिशामां जाणवु, आठे कर्मनी मळीने सत्ता उत्तरप्रकृतिओ थाय छे ( एमां नामकर्मनी ४२ गणेली छे ), हरिषेण नामना चक्रवर्ती कांइक ओछा सत्ताणु सो वर्ष सुधी गृहवासमा रही प्रव्रजित थया हता.
( ९८ ) नंदनवनना उपरना छेडाथी पांडुक वनना नीला छेडा सुधी अठ्ठाणु हजार योजननुं आंतरुं छे,
पर्वत पश्चिम छेडाथी गोस्तूभ पर्वतना पूर्व छेडा सुधी अठ्ठाणु हजार योजननुं आंतरुं छे, ए ज प्रमाणे शेष त्रण - दिशामां जाणवु, दक्षिण भरतार्धनुं धनुःपृष्ठ कांइक
अठ्ठा सो योजन लांबु छे, उत्तर दिशामा प्रथम छ मास सुधी चालतो सूर्य ओगणपचासमे मंडळे रहीने एक
मुहूर्त्तना एकसठीया अठ्ठाणु भाग दिवसनी हानि करी अने रात्री वृद्धि करीने चाले छे, तथा दक्षिण दिशामां बीजा छ मास सुधी चालतो सूर्य ओगणपचासमे मंडळे रद्दीने मुहू
ना एकसठीया अठ्ठाणु भाग रात्रिनी हानि अने दिवसनी वृद्धि करतो चाले छे, रेवति नक्षत्रथी ज्येष्ठा नक्षत्र सुधीना ओगणीश नक्षत्रोनी कुल अठ्ठाणु ताराओ .
(९९) मेरु पर्वत नवाणु हजार योजन ऊंचो छे, नंदन वनना पूर्व छेडाथी पश्चिम छेडा सुधी नवाणु सो योजननुं आंतरुं छे, एज प्रमाणे दक्षिण छेडाथी उत्तर छेडा सुधी जाणवु, उत्तरनुं सर्व आभ्यंतर पहेलुं सूर्यमंडळ आयाम विष्कंभवडे साधिक नवाणु हजार योजनप्रमाण छे, ए ज प्रमाणे बीजुं अने त्रीजुं मंडळ पण जाणवु, रत्नप्रभा पृथ्वीना अंजन नामना कांडनी नीचेना छेडाथी वाणत्र्यंतरना भूमिगृहना उपरना छेडा सुधी नवाणु सो योजन आंतरुं छे.