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पुरच्छिमिल्लाओ चरमंताओ पञ्चच्छिमिल्ले चरमंते एस णं नवनउइ जोयणसयाइं अबाहाए अंतरे पन्नत्ते । २ । एवं दक्खिणिल्लाओ चरमंताओ उत्तरिल्ले चरमंते एस णं णवणउइ जोयणसंयाई अबाहाए अंतरे पन्नत्ते । ३ । उत्तरे पढमे सूरियमंडले नवनउइ जोयणसहस्साइं साइरेगाई आयामविक्खंभेणं पन्नत्ते । ४ । दोच्चे सूरियमंडले नवनउइ जोयणसहस्साइं साहियाइं आयामविक्खंभेणं पन्नत्ते । ५। तइए सूरियमंडले नवनउइ जोयणसहस्साइं साहियाइं आयामविक्खंभेणं पन्नत्ते । ६। इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अंजणस्स कंडस्ल हेढिल्लाओ चरमंताओ वाणमंतरभोमेजविहाराणं उवरिमंते एस णं नवनउइ जोयणसयाइं अबाहाए अंतरे पन्नत्ते।७॥ सूत्रम्-९९॥ .. ___ मूलार्थ:--मेरु पर्वत नवाणु हजार योजन ऊंचो कह्यो छे (१)। नंदनवननी पूर्व दिशाना चरमांतथी ( तेना ज) पश्चिम तरफना चरमांत सुधी नवाणु सो योजननु अवाधाए आंतरूं कहेलं छे (२)। एज प्रमाणे दक्षिणना चरमांतथी उत्तरना चरमांत सुधी नवाणु सो योजनन अबाधाए आंतरूं कहेलुं छे (३)। उत्तरतुं सर्व आभ्यंतर सूर्यनुं पहेलं मांडलं। आयाम अने विष्कमे करीने काइक अधिक नवाणु हजार योजन का छे (४)। बीजु सूर्यमंडळ आयाम अने विष्कंभवडे NI कांइक अधिक नवाणु हजार योजननु का छे (५)।त्रीजुं सूर्यमंडळ आयाम अने विष्कंभवडे कांइक अधिक नवाणु हजार
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