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________________ पाळी सिद्ध थया, अचळभ्राता नामना गणधर बोतेर वर्षनं । प्रपातकुंडमां पडे छे, चोथी पृथ्वी सिवाय बाकीनी छ नरककुल आयुष्य पाळीने सिद्ध थया, पुष्कराध द्वीपमा बोतेर पृथ्वीने विषे कुल चुमोतेर लाख नरकावासा रहेला छे..., चंद्र अने बोतेर सूर्य प्रकाशे छे, दरेक चक्रवर्तीने बोंतेर हजार (७५) सुविधिनाथ प्रभुने पंचोतेर सो सामान्य 'पुर होय छे, पुरुषनी बोंतेर कळाओ होय छे, संमूछिम केवळी हता, श्रीशीतळनाथ प्रभु पंचोतेर हजार पूर्व सुधी खेचर पंचेंद्रिय तिर्यचनी उत्कृष्ट स्थिति वोंतेर हजार वर्षनी छे. गृहवासमा रहीने प्रव्रजित थया हता, श्रीशांतिनाथ प्रभु पंचोI. (७३) हरिवर्ष अने रम्यक क्षेत्रनी जीवा साधिक तेर हजार वर्ष सुधी गृहवासमा रहीने प्रव्रजित थया हता. तोतेर हजार योजननी छे, विजय नामना बीजा बळदेव .. (७६) विद्युत्कुमारना आवासो छोतेर लाख छे, तोतेर हजार वर्षतुं आयुष्य पाळीने सिद्ध थया. ए ज प्रमाणे द्वीपकुमार, दिक्कुमार, उदधिकुमार, विद्युत्कु(७४ ) अग्निभूति नामना गणधर चुमोतेर वर्ष, मोरेंद्र, स्तनितकुमार अने अग्निकुमार ए छए युगलना एटले आयुष्य पाळीने सिद्ध थया. निषध नामना वर्षधर पर्वत दक्षिण उत्तर दिशाना मळीने छोतेर छोतेर लाख भवनो छे. उपर रहेला तिगिच्छ नामना महाद्रहथकी सीतोदा नामनी (७७) भरत चक्रवर्ती सत्तोतेर लाख पूर्व कुमार महानदी साधिक चुमोतेर सो योजन उत्तरदिशा सन्मुख अवस्थामा रहीने पछी महाराजाना अभिपेकने पाम्या वहन करीने सीतोदाप्रपातकुंडमां पडे छे, ते ज रीते सीता हता, अंगवंशना सत्तोतेर राजा प्रव्रजित थया हता, गर्दतोय नामनी महानदी दक्षिण दिशा तरफ वहेती सती सीता- अने तुषित नामना वे लोकांतिक देवोने सत्तोतेर हजार देवोनो
SR No.010536
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJethalal Haribhai
PublisherJain Dharm Prasarak Sabha
Publication Year1939
Total Pages681
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size44 MB
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