________________
जे भागमां प्राप्त थाय ते काळसीमा थाय छे एटले के चंद्रनी साथे ते नक्षत्रनो तेटला काळ सुधी संयोग-संबंध रहे छे. ते काळसीमा नव मुहूर्त्त अने सडसठीया सत्तावीश भाग जेटली ( ९ ) थाय छे. ते विषे कह्युं छे के – “ एक अहोरात्र सडसठे भागवाथी एकवीश भाग जेटलो अभिजित् नक्षत्रने चंद्रनो योग क्षेत्रथी थाय छे, अने काळथी ते योग कांइक अधिक नव मुहूर्त्तनो होय छे." आ प्रमाणे क्षेत्रथी अने काळथी अभिजितने चंद्र साथेनो योग कह्यो. तथा शतभिषक, भरणी, आर्द्रा, अश्लेषा, स्वाति अने ज्येष्ठा आ छ नक्षत्रनो क्षेत्रथी सडसठीया तेत्रीश अने अर्ध (साडी तेत्रीश) भाग जेटलो सीमाविष्कंभ थाय छे, अने ते ज साडी तेत्रीशने त्रीशे गुणतां १००५ थाय छे, तेने सडसठे भागाकार करतां जे भागमां लाघे ते तेनी काळी सीमा थाय छे, तेमां पंदर मुहूर्त्त आवे छे. ते विषे कछु छे के - " शतभिषक, भरणी, आर्द्रा, अश्लेषा, स्वाति अने ज्येष्ठा आ छ नक्षत्रो पंदर मुहूर्त्तना संयोगवाळा छे." तथा ऋण उत्तरा, पुनर्वसु, रोहिणी अने विशाखा . ए छ नक्षत्रोनो क्षेत्रथकी सीमाविष्कंभ सडसठीया सो अने अर्ध ( साडी सो ) भाग जेटलो थाय छे. तेने (१०० ॥ ने ) ज त्रीशे गुणवाथी ३०१५ थाय छे. तेनो प्रथम प्रमाणे सडसठवडे भागाकार करवाथी जे भागमां प्राप्त थाय ते आ छ नक्षत्रोनी काळी सीमा थाय छे। अने तेमां (तेम करतां ) पीस्ताळीश मुहूर्त्त आवे छे. ते विषे कयुं छे के - "त्रण उत्तरा, पुनर्वसु रोहिणी ने विशाखा ए छ नक्षत्रो पीस्ताळीश मुहूर्त्तना संयोगवाळा छे." बाकीना पंदर नक्षत्रोनो क्षेत्रथकी सीमाविष्कंभ सडसठीया सडसठ भाग होय छे, तेने (६७ ने) ते ज प्रमाणे (त्रीशे) गुणवाथी २०१० थाय छे. तेने सडसठे भावाथी जे भागमां आवे ते काळथी सीमा थाय छे. तेमां त्रीश मुहूर्त्त आवे छे. ते विषे कयुं छे के – “ बाकीना पंदर