________________
पहेला पाथडामां पहली आवलिकामां दरेक दिशाए बासठ । (६५) आ जंबूद्वीपमा सूर्यना पांसठ मंडळो रहेला | बासठ विमानो रहेला छे, सर्व विमानना मळीने कुल | छे, मौर्यपुत्र नामना गणधर पांसठ वर्ष सुधी गृहवासमा रही । बासठ पाथडा छे..
प्रव्रजित थया हता, सौधर्मावतंसक नामना विमाननी दरेक (६३) श्रीऋषभदेवस्वामी त्रेसठ लाख पूर्व सुधी दिशाए पांसठ पांसठ भौम नगरो छे. महाराज्यमा रहीने प्रवजित थया हता, हरिवर्ष अने (६६) दक्षिणार्ध मनुष्य क्षेत्रमा छासठ चंद्र अने रम्यक क्षेत्रना युगलिक मनुष्य त्रेसठ दिवसे यौवन पामे छे, छासठ सूर्य प्रकाशे छे, ते ज प्रमाणे उत्तरार्धमां पण छासठ निषध अने नीलवंत पर्वत उपर त्रेसठ वेसठ सूर्यमंडळ छे.. चंद्र सूर्य प्रकाशे छे, श्रीश्रेयांस प्रभुने छासठ गणो अने । (६४) आठ अष्टमिका नामनी भिक्षुप्रतिमा चोसठ छासठ गणधरो हता, मतिज्ञाननी उत्कृष्ट स्थिति छासठ दिवसे पूर्ण थाय छे, असुरकुमारना चोसठ लाख भवनो सागरोपमनी छे. छे,चमरेंद्र नामना असुरकुमारेंद्रने चोसठ हजार सामा- (६७) एक युगमां सडसठ नक्षत्र मासो आवे छे, निक देवो छे, पालाना आकारे रहेला सर्वे दधिमुख हैमवत अने औरण्यवत क्षेत्रनी बाहा साधिक सडसठ सो पर्वतोनी ऊंचाइ चोसठ हजार योजननी छे, सौधर्म, ईशान योजन छे, मेरु पर्वतनी पूर्व दिशाना छेडाथी गौतमद्वीपनी अने ब्रह्मलोकना मळीने चोसठ लाख विमानो छे, सर्वे चक्र. पूर्व दिशाना छेडा सुधी सडसठ हजार योजन- आंतरं छे, वर्तीओने चोसठ सेरवाळो मुक्तामणिनो हार होय छे. सर्व नक्षत्रोनी सीमानो विष्कम सडसठमे भागे करीने समान