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विषयानुक्रम।
समवायाङ्ग
सूत्र॥ चोधुं अंग
॥१३॥
मळीने अठ्ठावन लाख नरकावासा छे, ज्ञानावरणीय (५), । ऊंचा हता, बलि नामना असुरकुमारेंद्रने साठ हजार सामावेदनीय (२), आयु (४), नाम (४२) अने अंतराय - निक देवो होय छे, ब्रह्म नामना देवेंद्रने साठ हजार सामा(५) ए पांच मूळकर्मनी मळीने अठ्ठावन उत्तरप्रकृतिओ कही निक देवो होय छे, सौधर्म ( ३२ ) अने ईशान (२८) छे. गोस्तुभ नामना आवास पर्वतनी पश्चिम दिशाना छेडाथी कल्पना मळीने साठ लाख विमानावास छे. वडवामुख नामना महापाताळकळशना मध्यभाग सुधी अठ्ठा- (६१) पांच वर्ष प्रमाण एक युगमा एकसठ ऋतु वन हजार योजन प्रमाण आंतरं छे, एज प्रमाणे वाकीनी मास आवे छे, मेरु पर्वतनो पहेलो कांड एकसठ हजार त्रणे दिशामां जाणवू.
( मतांतरे ६३०००) योजन ऊंचो छे, चंद्रनुं विमान एक (५९) चंद्र वर्पनी एक एक ऋतु ओगणसाठ योजनना एकसठीया छप्पन भागर्नु छे, एज प्रमाणे सूर्यन दिवसनी छे, श्रीसंभवनाथ प्रभुए ओगणसाठ लाख पूर्व विमान पण एकसठीया अडताळीश भागनुं छे. गृहवासमां रहीने दीक्षा ग्रहण करी हती, श्रीमल्लिनाथ प्रभुने | (६२) एक युगने विपे बासठ पूर्णिमा अने बासठ ओगणसाठ सो अवधिज्ञानी हता.
अमावास्या आवे छे, श्रीवासुपूज्यस्वामीने बासठ गण अने (६०) दरेक सूर्य साठ साठ मुहर्ने एक एक मंडळ | बासठ वणधरो हता, शुक्लपक्षमां चंद्र हमेशां बासठ बासठ | पूर्ण करे छे, लवणसमुद्रनी शिखाना जळने साठ हजार - भाग वधे छे अने कृष्णपक्षमा बासठ बासठ भाग हानि पामे नागदेवताओ धारण करे छे, श्रीविमळनाथ प्रभु साठ धनुष । छे ( आ भाग समजवा ), सौधर्म अने ईशान कल्पना
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