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महावीरस्वामीए एक जं दिवसे एक ज आसने बेसीने चोपन प्रश्नोत्तरो कह्या हता, अनंतनाथ प्रभुने चोपन गणधरो हता.
(५५) श्रीमल्लिनाथस्वामी पंचावन हजार वर्षनुं संपूर्ण आयुष्य पाळीने सिद्धथया, मेरु पर्वतना पश्चिम छेडाथी विजयद्वारना पश्चिम छेडा सुधी ( ४५००० नुं अंतर ने दश हजारो मेरू गणतां ) पंचावन हजार योजननं आंतर छे, एज प्रमाणे बाकीनी त्रण दिशामां वैजयंत, जयंत अने अपराजित एत्रण द्वारनं आंतरुं जाणवुं. श्रीमहावीरस्वामी छेल्ली रात्रिए पंचावन अध्ययन पुण्यफळना विपाकवाळा अने पंचावन अध्ययन पापफळना विपाकवाळा कहीने सिद्ध थया, पहेली अने बीजी नरकपृथ्वीना मळीने पंचावन लाख नरकावासा छे, दर्शनावरणीय ( ९ ), नाम ( ४२ ) अने आयु ( ४ ) कर्मनी मळीने पंचावन उत्तरप्रकृतिओ कही छे.
( ५६ ) आ जंबूद्वीपमां छप्पन नक्षत्रो (बे) चंद्रनी
साथै योगने पामे छे, श्रीविमळनाथ प्रभुने छप्पन गणो अने छप्पन गणधरो हता.
(५७) आचारांगसूत्रनी चूलिका सिवाय त्रण गणिपिटकना कुल सत्तावन अध्ययनो छे, गोस्तूभ नामना आवास पर्वतनी पूर्व दिशाना छेडाथी वडवामुख नामना महा पाताळकळशना बरावर मध्य भाग सुधीमां सत्तावन हजार योजननं आंतरुं छे, एज प्रमाणे दक्षिणना दकभास पर्वत अने केतुक नामना महापाताळकळशनुं, पश्चिमना शेख पर्वत अने यूप नामना महापाताळकळशनुं तथा उत्तरना दकसीम पर्वत अने ईश्वर नामना महापाताळकळशनुं आंत रु तेलुं ज जाणवुं. मल्लिनाथ प्रभुने सत्तावन सो साधुओ मन:पर्यवज्ञानवाळा हता, महाहिमवान अने रुक्मी पर्वतनी जीवाना धनुः पृष्ठनी बाइ साधिक सत्तावन हजार योजननी छे...
( ५८ ) पहेली, बीजी अने पांचमी नरक पृथ्वीना