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श्री समवायाङ्ग
सूत्र ॥ चो अंग
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(५१) नव ब्रह्मचर्य अध्ययनना एकावन उद्देशन काळ छे, चमर नामना असुरेंद्रनी सुधर्मा नामनी सभामां एकावन सो स्तंभो छे, ए ज प्रमाणे बलींद्रनी पण जाणवी, सुप्रभ नामना बळदेव एकावन लाख वर्षेनुं कुल आयुष्य पाळीने सिद्ध थया, दर्शनावरण (९) अने नामकर्मनी (४२) मळीने एकावन उत्तरप्रकृतिओ छे.
(५२) मोहनीय कर्मना बावन नाम छे, गोस्तूभ नाना आवास पर्वतनी पूर्वदिशाना अंतथी वडवामुख नामना महापाताळकळशनी पश्चिम दिशाना अंत सुधीमां अर्थात् ते वेनी बच्चे बावन हजार योजननुं आंतरुं छे. ए ज प्रमाणे दकभास पर्वतना पूर्व छेडाथी केतुक नामना पाताळकळ. शनुं तथा शेख नामना पर्वतना पूर्व छेडाथी यूप नामना पाताळकळशनं अने दकसीम नामना पर्वतना पूर्व छेडाथी ईश्वर नामना पाताळकलशनुं आंतरुं बावन बावन हजार
योजननं जाणवुं, ज्ञानावरणीय (५), नाम ( ४२ ) अने अंतराय ( ५ ) एत्रणे कर्मनी मळीने उत्तरप्रकृतिओ बावन थाय छे, सौधर्म ( ३२ ), सनत्कुमार ( १२ ) अने महेंद्र ( ८ ) कल्पना मळीने कुल बावन लाख विमानावास छे.
(५३) देवकुरु अने उत्तरकुरुनी जीवानो आयाम साधिक त्रेपन हजार योजन छे, महाहिमवान अने रुक्मी पर्वतनी जीवानो आयाम साधिक त्रेपन हजार योजन छे, महावीरस्वामीना त्रेपन साधुओ एक वर्षनो दीक्षापर्याय पाळीने अनुत्तर नामना महाविमानमां उत्पन्न थया छे, संमूच्छिम उरपरिसर्पनी उत्कृष्ट स्थिति त्रेपन हजार वर्षनी छे.
( ५४ ) भरत अने अरवत क्षेत्रमां दरेक उत्सर्पिणीमां अने अवसर्पिणीमां ( प्रतिवासुदेव न गणतां ) चोपन चोपन उत्तम पुरुषो थाय छे, अरिष्टनेमि भगवान चोपन रात्रिदिवस छद्मस्थ पर्याय पाळी केवळी थया हता,
विषयानुक्रम ॥
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