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पीस्ताळीश धनुष ऊंचा हता, जंबूद्वीपनी जगती ने मेरुपर्व• तनी बच्चे चारे दिशाए पीस्ताळीश पीस्ताळीश हजार योजछे, दो क्षेत्रवाळा सर्व नक्षत्रो पीस्ताळीश मुहूर्त्त सुधी चंद्रनी साथै रहे छे, महालिका विमानप्रविभक्तिना पांचमा वर्गमां पीस्ताळीश उद्देशन काळ कह्या छे.
(४६) दृष्टिवादमां छेताळीश मातृकापदो छे, वालिपिना छैताळीश मातृकाक्षरो छे, प्रभंजन नामना वायुकुमारेंद्रना छैताळीस लाख भवनो छे.
(४७) आभ्यंतर मंडळमां रहेलो सूर्य साधिक सुड• ताळीस हजार योजन दूर होय त्यारे अहींना मनुष्य तेने • जोइ शके छे, स्थविर भगवान अग्निभूति सुडताळीश वर्ष गृहवासमा रही प्रब्रजित थया हता.
(४८) दरेक चक्रवर्तीने अडताळीश हजार पट्टणो होय छे, धर्मनाथ प्रभुने अडताळीश गणो तथा अडताळीश
गणधरो हता, सूर्यमंडळनो विष्कंभ एक योजनना एकसठीया - अडताळीश भागप्रमाण छे.
(४९) सातसप्तमिका नामनी भिक्षुप्रतिमाना ओगपचास दिवसो थाय छे, देवकुरु अने उत्तरकुरुना मनुष्यो गणपचास दिवसे यौवनावस्थाने पामे छे, त्रींद्रिय जीवोनी स्थिति उत्कृष्टथी ओगणपचास दिवसनी छे..
(५०) मुनिसुव्रतस्वामीने पचास हजार साध्वीओ हती, अनंतस्वामी अरिहंत पचास धनुष ऊंचा हता, पुरुषोत्तम नामना वासुदेव पचास धनुष ऊंचा हता ( उपलक्षणथी बलदेव पण समजवा ), सर्व दीर्घवेताढ्य पर्वतोनो विष्कंभ पचास पचास योजननो छे, लांतक कल्पमां पचास हजार विमानो छे, सर्वे तमिस्रा अने खंडप्रपात नामनी गुहाओ पचास पचास योजन लांबी छे, सर्वे कांचन पर्वतो शिखर उपर पचास पचास योजन विष्कंभवाळा छे.