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धनुःपृष्ठ साधिक आडत्रीश हजार योजननु छ, आ मेरुपर्व- | नामना नागराजना चाळीश लाख भवनो छे, क्षुल्लिकाविमानतनो बीजो कांड आडत्रीश हजार (मतांतरे ६३०००) । प्रविभक्तिना त्रीजा वर्गमां चाळीश उद्देशन काळ कह्या छे, योजन ऊंचो छे, क्षुल्लिकाविमानप्रविभक्तिना बीजा वर्गमा फाल्गुन तथा कार्तिक मासनी पूर्णिमाने दिवसे पोरिसीनी आडत्रीश उद्देशनकाळ कह्या छे.
छाया चाळीश अंगुलप्रमाण थाय छे, महाशुक्र नामना सातमा (३९) नमिनाथ प्रभुने ओगणचाळीश सो अव- कल्पमा चाळीश हजार विमानो छे, विज्ञानी हता, अढीद्वीपने विषे ( पांच मेरु ने चार इषुकार (४१) नमिनाथ प्रभुने एकताळीश हजार साध्वीसहित) ओगणचाळीश कुळपर्वतो छे, बीजी, चोथी, पांचमी, ओनी संपदा हती, रत्नप्रभा, पंकप्रभा, तमा अने तमतमा छठ्ठी अने सातमी ए चारे पृथ्वीना मळीने कुल ओगणचा- | ए चार पृथ्वीना मळीने एकताळीश लाख नरकावासा छ, लीश लाख नरकावासा छे. ज्ञानावरणीय (५), मोहनीय महलियाविमानप्रविभक्तिना पहेला वर्गमां एकताळीश उद्दे(२८), गोत्र (२) अने आयु (४) आ चारे कर्मनी शन काळ कह्या छे. मळीने ओगणचाळीश उत्तरप्रकृतिओ कहेली छे.
(४२) महावीरस्वामी साधिक बेताळीश वर्ष चा(४०) अरिष्टनेमि प्रभुने चाळीश हजार साध्वी- रित्र पाळी सिद्ध थया, जंबूद्वीपनी पूर्वदिशाना छेडाथी ओनी संपदा हती, मेरुपर्वतनी चूलिका चाळीश योजन गोस्तूभ नामना आवास पर्वतनी पश्चिम दिशाना छेडा सुधी । ऊंची छे, शांतिनाथ प्रभु चाळीश धनुष ऊंचा हता, भूतानंद , बेताळीश हजार योजन- आंतरुं छे, (अर्थात् जगतीथी ४२०००
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