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सौधर्म कल्पमां बत्रीश लाख विमानो छे, रेवती नक्षत्र । विदेह क्षेत्रनो विष्कंभ साधिक तेत्रीश हजार योजननो छे, बत्रीश तारावाळु छे ( मूलार्थमां बावीश भूलथी थया छे) - ज्यारे सूर्य छेल्लानी पहेलाना त्रीजा मंडळे वर्ते छे त्यारे अहीं बत्रीश प्रकारचें नाट्य छे. रत्नप्रभा पृथ्वीमां केटलाक नार- | रहेला मनुष्यो कांइक न्यून तेत्रीश हजार योजन दूरथी तेने | कीओनी बत्रीश. पल्योपमनी स्थिति छे, सातमी पृथ्वीमां जोई शके छे. रत्नप्रभा पृथ्वीमां केटलाक नारकीओनी तेत्रीश केटलाक नारकीओनी बत्रीश सागरोपमनी स्थिति छ, केट- | पल्योपमनी स्थिति छे, सातमी पृथ्वीमां काळ, महाकाळ, लाक असुरकुमार, सौधर्म अने ईशान कल्पना देवोनी बत्रीश रोर अने महारोर ए चार नरकावासामा उत्कृष्ट स्थिति तेत्रीश पल्योपमनी स्थिति छे, विजय, वैजयंत, जयंत अने अपरा- सागरोपमनी छे, अने अप्रतिष्ठान नामना नरकावासमां एक । जित विमानमा उत्पन्न थयेला केटलाक देवोनी बत्रीश साग- सरखी सर्वेनी तेत्रीश सागरोपमनी स्थिति छे, केटलाक असुरोपमनी स्थिति छे, ते देवो बत्रीश पखवाडीए श्वास ले छे रकुमार, सौधर्म अने ईशान कल्पना देवोनी तेत्रीश पल्योप- 1G अने बत्रीश हजार वर्षे आहार इच्छे छे. केटलाक भव्य मनी स्थिति छे, विजय, वैजयंत, जयंत अने अपराजित ए जीवो बत्रीश भववडे सिद्ध थवाना होय छे.
चार विमानमा उत्कृष्ट स्थिति तेत्रीश सागरोपमनी छे. सर्वा__(३३) गुरुनी तेत्रीश आशातनाओ वर्जवानी छे, र्थसिद्ध विमानमा उत्पन्न थयेला देवोनी एक सरखी तेत्रीश चमरेंद्र नामना असुरेंद्रनी चमरचंचा नामनी राजधानीना सागरोपमनी स्थिति छे, ते देवो तेत्रीश पखवाडीए श्वास ले दरेक द्वारनी बहार तेत्रीश तेत्रीश भौमनगरो रहेला छे, महा- | छे अने तेत्रीश हजार वर्षे आहार इच्छे छे. केटलाक भव्य