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देवोनी जघन्य स्थिति अठ्ठावीश सागरोपमनी छे, छठ्ठा अवे- रोपमनी स्थिति छ, केटलाक असुरकुमार, सौधर्म अने ईशान यकमां उत्पन्न थयेला देवोनी उत्कृष्ट स्थिति अठ्ठावीश साग- कल्पना देवोनी ओगणत्रीश पल्योपमनी स्थिति छे, आठमा रोपमनी छे, ते देवो अठ्ठावीश पखवाडीए श्वास ले छे अने प्रैवेयकना देवोनी जघन्य स्थिति ओगणत्रीश सागरोपमनी अठ्ठावीश हजार वर्षे आहार इच्छे छे. केटलाक भव्य जीवो छे, सातमा अवेयकमां उत्पन्न थयेला देवोनी उत्कृष्ट स्थिति अठ्ठावीश भवे सिद्ध थशे..
ओगणत्रीश सागरोपमनी छे, ते देवो ओगणत्रीश पखवाडीए (२९) पापश्रुतनो प्रसंग ओगणत्रीश प्रकारे कह्यो
श्वास ले छे अने ओगणत्रीश हजार वर्षे आहार इच्छे छे. छ, अर्थात् २९ प्रकारना पापश्रुत कह्या छे, आषाढ, भाद्र- केटलाक भव्य जीवो ओगणत्रीश भवे मोक्षे जशे. पद, कार्तिक, पोष, फाल्गुन अने वैशाख मासमां ओगण- (३०) मोहनीय कर्म बांधवाना त्रीश स्थानो छ, । त्रीश रात्रिदिवस होय छे, चांद्र मासनो दिवस साधिक ओग- मंडितपुत्र नामना छठ्ठा गणधर त्रीश वर्ष सुधी चारित्रपर्याय णत्रीश मुहर्तनो होय छे, शुभ अध्यवसायवाळो सम्यग्दृष्टि पाळीने सिद्धिपद पाम्या, एक रात्रिदिवसना कुल त्रीश मुहूर्त जीव नामकर्मनी तीर्थकरनाम सहित ओगणत्रीश उत्तरप्रकृ- होय छे, श्रीअरनाथ प्रभु त्रीश धनुष ऊंचा हता, सहस्रार तिओने बांधी अवश्य वैमानिक देव थाय छे. रत्नप्रभा देवेंद्रने त्रीश हजार सामानिक देवो छे, श्रीपार्श्वनाथ प्रभु त्रीश पृथ्वीमा केटलाक नारकीओनी ओगणत्रीश पल्योपमनी स्थिति वर्ष गृहवासमां रहीने प्रव्रजित थया हता, श्रीमहावीरस्वामी छे, सातमी पृथ्वीमा केटलाक नारकीओनी ओगणत्रीश साग- | पण त्रीश वर्ष गहवास पाळीने प्रव्रजित थया हता, रत्नप्रभा
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