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विषयानुक्रम ॥
समवायाङ्ग
घोअंग
णीमां त्रेवीश तीर्थकरो पूर्वभवे मांडलिक राजाओ हता. रत्न- | छे, उत्तरायणमां चोवीश अंगुलनी छायाप्रमाण पोरसी प्रभा पृथ्वीमा केटलाक नारकीओनी नेवीश पल्योपमनी करीने सूर्य पाछो फरे छे. गंगा अने सिंधु नामनी महानदी स्थिति छे, सातमी पृथ्वीमा केटलाक नारकीओनी नेवीश प्रवाहने स्थाने साधिक चोवीश कोश विस्तारवाळी छे, ते ज सागरोपमनी स्थिति छे. केटलाक असुरकुमार देवोनी तथा प्रमाणे रक्ता अने रक्तवती नदीओ पण जाणवी. रत्नप्रभा सौधर्म अने ईशान कल्पना केटलाक देवोनी त्रेवीश पल्यो- पृथ्वीमा केटलाक नारकीओनी चोवीश पल्योपमनी स्थिति पमनी स्थिति छ, हेछिममध्यम नामना बीजा अवेयकमां छे, सातमी पृथ्वीमा केटलाक नारकीओनी चोवीश सागरोदेवोनी जघन्य स्थिति त्रेवीश सागरोपमनी छे, तथा हेछिम- पमनी स्थिति छे, केटलाक असुरकुमार, सौधर्म अने ईशाहेछिम नामना पहेला अवेयकमा उत्कृष्ट स्थिति त्रेवीश साग- नना देवोनी चोवीश पल्योपमनी स्थिति छे, त्रीजा हेछिमरोपमनी छे, ते देवो त्रेवीश पखवाडीए श्वास ले छे अने उवरिम अवेयकना देवोनी जघन्य स्थिति चोवीश सागरोपमनी त्रेवीश हजार वर्षे आहार इच्छे छे. केटलाक भव्य जीवो छे, हेछिममध्यम नामना बीजा प्रैवेयकना देवोनी उत्कृष्ट । नेवीश भवे करीने मोक्षे जवाना होय छे.
स्थिति चोवीश सागरोपमनी छे, ते देवो चोवीश पखवाडीए (२४) दरेक चोवीशीमां चोवीश तीर्थकरो होय छे, श्वास ले छे अने चोवीश हजार वर्षे आहार इच्छे छे. केटक्षुल्लहिमवंत अने शिखरी पर्वतनी जीवा चोवीश हजार योज- | लाक भव्य जीवो चोवीश भवे मोक्ष पामशे.
पासो . ... .. नथी अधिक लांबी कही छे, इंद्र सहित देवोना चोवीश स्थानो - (२५) पांच महाव्रतोनी पचीश भावनाओ छे,