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लाकनी एकवीश पल्योपमनी स्थिति छे, आरण कल्पने विषे । केटलाक असुरकुमार देवोनी बावीश पल्योपमनी स्थिति छ, देवोनी उत्कृष्ट स्थिति एकवीश सागरोपमनी छे, अच्युत सौधर्म अने ईशान कल्पमां केटलाक देवोनी बावीश पल्योकल्पने विपे जघन्य स्थिति एकवीश सागरोपमनी छे, श्रीवत्स पमनी स्थिति छ, अच्युत कल्पमां देवोनी उत्कृष्ट स्थिति बावीश विगेरे विमानमा उत्पन्न थयेला देवोनी उत्कृष्ट स्थिति एक- सागरोपमनी छे, नव अवेयकमा प्रथमना हेछिमहेछिम नामना वीश सागरोपमनी छे, ते देवो एकवीश पखवाडीए श्वास ले ग्रैवेयकमां देवोनी जघन्य स्थिति बावीश सागरोपमनी छे. छे, अने एकवीश हजार वर्षे आहार इच्छे छे. केटलाक भव्य महित विगेरे विमानोमा उत्पन्न थयेला देवोनी उत्कृष्ट स्थिति जीवो एकवीश भवे मोक्ष पामवाना होय छे.
बावीश सागरोपमनी छे, ते देवो बावीश पखवाडीए श्वास . (२२) परीपहो बावीश छे, दृष्टिवादमां बावीश ले छे अने बावीश हजार वर्षे आहार इच्छे छे. केटलाक सूत्रो छिन्नछेद नयवाळा छे, बावीश सूत्रो अच्छिन्नेछद नय- भव्य जीवो बावीश भवे करीने मोक्ष पामवाना होय छे. वाला छे, बावीश सूत्रो त्रिक नयवाळा अने बावीश सूत्रो चार (२३) सुयगडांगमां त्रेवीश अध्ययनो छ, आ नयवाळा छे. पुद्गळोनो परिणाम बावीश प्रकारे कह्यो छे. भरतक्षेत्रमा आ अवसर्पिणीमां त्रेवीश जिनेश्वरोने सूर्योदय रत्नप्रभा पृथ्वीमा केटलाक नारकीओनी बावीश पल्योपमनी समये केवळज्ञान प्राप्त थयु हतुं, आ भरतक्षेत्रमा आ अवसस्थिति छे छठ्ठी पृथ्वीमा उत्कृष्ट स्थिति वावीश सागरोपमनी | पिणीना ऋषभदेव विना बाकीना नेवीश तीर्थंकरो पूर्वभवमां छे, सातमी पृथ्वीमा जघन्य स्थिति बावीश सागरोपमनी छे, | अग्यार अंग जाणनारा हता, आ भरतक्षेत्रमा आ अवसर्पि