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वखत अढार मुहूर्त्तनी रात्रि थाय छे. रत्नप्रभा पृथ्वीमा केट- | यने अंगे छे ) शुक्र नामनो ग्रह ओगणीश नक्षत्रो साथे चाले लाक नारकीओनी अढार पल्योपमनी स्थिति छे, छठ्ठी पृथ्वीमा छे, जंबूद्वीपना गणितमा योजनना ओगणीशमा भागने कळा केटलाक नारकीओनी अढार सागरोपमनी स्थिति छे, केट- कही छे, ओगणीश तीर्थंकरोए राज्य भोगव्या पछी दीक्षा । लाक असुरकुमार देवोनी अढार पल्योपमनी स्थिति छ, सौधर्म लीधी हती, रत्नप्रभा पृथ्वीमां केटलाक नारकीनी ओगणीश अने ईशान कल्पमां केटलाक देवोनी अढार पल्योपमनी स्थिति पल्योपमनी स्थिति छे, छठ्ठी पृथ्वीमां केटलाक नारकोनी ओगणीश छे, सहस्रार कल्पने विषे देवोनी उत्कृष्ट स्थिति अढार साग- सागरोपमनी स्थिति छे, केटलाक असुरकुमारोनी ओगणीश रोपमनी छे, प्राणतकल्पमा जघन्य स्थिति अढार सागरोप- पल्योपमनी स्थिति छे, सौधर्म अने ईशान कल्पमा केटलामनी छे. काळ विगेरे विमानोमां उत्पन्न थयेला देवोनी उत्कृष्ट क देवोनी ओगणीश पल्योपमनी स्थिति छ, आनत कल्पमा स्थिति अढार सागरोपमनी छे, ते देवो अढार पखवाडीए उत्कृष्ट स्थिति ओगणीश सागरोपमनी छे, प्राणत कल्पमा श्वास ले छे अने अढार हजार वर्षे आहार इच्छे छे. केट. जघन्य स्थिति ओगणीश सागरोपमनी छे, आनत विगेरे लाक भव्य जीवो अढार भवे मोक्ष पामशे.
विमानमा उत्पन्न थयेला देवोनी उत्कृष्ट स्थिति ओगणीश (१९) ज्ञातासूत्रना प्रथमश्रुतस्कंधमां ओगणीश | सागरोपमनी छे, ते देवो ओगणीश पखवाडीए श्वास ले छे अध्ययनो छे, जंबूद्वीपना बन्ने सूर्यो नीचे अने ऊंचे मळीने ओग- अने ओगणीश हजार वर्षे आहार इच्छे छे, केटलाक भव्यो णीश सो योजन ताप (प्रकाश) आपे छे, (आ प्रमाण कुबडीविज- | ओगणीश भवे मोक्षे जशे.