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________________ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * 1 छीतर के बेटे घासीराम तिनके बेटे मङ्गलसिंह तिनके वेटी ३ एक पटवारिनके व्याही । महुआ गाँव, दोय भिन्ड गाँव व्याही गई परिया कचनाउर वालोंके । मंगलसिंह को भिंडगांव टोडरमल की बहिन व्याही इटावा रहै कनपुरा में हाँसे भिंड चले गये । तिनके बेटे भिखारीदास, सुखलाल बेटी १ सुन्दा ववरियन के व्याही । विजोरा गाँव २ सुका बेटी हँतिकांत वाले रावतन के व्याही, ३ वखतो बेटी मुरोग वाले रपरियनके ब्याही, चौथी रुका बाई नाथूराम पचोलये करहलके को व्याही | भिखारीदास करहल गाँवकी देवकीनन्दन पचोलयेकी बेटी व्याही। जिनके बेटे वसन्तलाल झम्मनलाल, द्वारकाप्रसाद, बेटी गोरा बाई, हीरालाल रावत के लड़के को पारने गाँव व्याही । वसन्तलालको महीगाँव के हुब्बलाल रावत की बेटी ब्याही । उनके बेटे मगनीराम और श्रीलाल बेटी चतुररानी पारने मंगनीराम रपरियाको ब्याही | कस्तूरा पारने गाँव व्याही रसकलाल रपरिया को चमेला बेटी बाह गाँव ब्याही कन्हैयालाल रावतको, मगनी राम पारने गाँव ब्याहे भादोलाल रपरिया की बेटी तिनके बेटा महेशचन्द्र १ और सुरेन्द्रनाथ २ उर्फ छोटेलाल
SR No.010527
Book TitleLavechu Digambar Jain Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZammanlal Jain
PublisherSohanlal Jain Calcutta
Publication Year1952
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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