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* श्री लंबेचू समाजका इतिहास * दुनीमें महादान संघपति जु दीन्हे, भली भाँति जगमें सुजस जीत लीन्हें ।
छप्प तखत भिंड संघपति शोभानि सरसैं, कलसा छपे कायम गंजते सजि चले संघपति
दल सरसे। भूप भदावर देश जाय कंचनझल बरसे, सत्रहसे छासी जुभौमसु वार सुहायो । फागुन श्याम कृष्णकुल कलश चढ़ायो दौलत विविध धन खरचि तहं जिन
मुयश कीर्ति सब जग केरे। संघ ही सपूत लऊराय कहि सुभिंड जीत
आयो जुधरै ।। इति श्री विवाहको वर्णन समाप्तः