________________
* श्री लँबेचू समाजका इतिहास *
छन्द अरिल वंश विदित घरवास अंश हरिवंशको । पुनिय पुरुष प्रह्लाद हरन परसंसको ।
तिनके पुत्र पुनीत भये सिन दानिए । - जे सील सन सुख शर्म धर्मके षानिए ॥ ५॥
दोहा प्रथम भवानी दास अरु, मया राम धर्मज्ञ । भोजराज परशराम अरु, जे गाहक गगनि गुणज्ञ ॥ पुत्र भमानीदासके, द्वै दुख हरनि वषानि । प्रथमहिं राजा राम अरु, प्राणनाथ सुखदानि । परशरामको नन्द है, नयन सुष सुष कन्द । सोहै धन सुख तहीं, करि हंस सदा आनन्द । आयो प्राणजु नाथको, ब्याह सुषनिको कन्द । यह सुनि सबहीके हृदय, ऊपजौ महा आनन्द ॥ शुभ साइत आई लगुन, कहत लउ कविराज । बोलि पंच अरु पंडितनि, लीनी शीश चढाइ ।। दिशिविदिशनि न्योतो दियो सकलबार अरु पोर। जोनारे बहु भाँति करी, सजी वरात अपार ॥