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________________ इन्द्रध्वज विधानसे पानी बरसता है, इसकी प्रमाणतामें प्रमाण-पत्र * श्रीः * सम्मान-पत्र सेवामें श्रीमान् श्रद्धास्पद, तकतीर्थ पं० झम्मनलालजी चन्दौरिया कलकत्ता (भिण्ड निवासी) मान्यवर ! आप दिगम्बर जैन लम्बकञ्चुक ( लँबेचू ) जातिके उन महान् रत्नोंमें से हैं, जो अपने जीवनभर धर्म एवं समाजकी सेवामें सदैव निरत रहकर जीवनको सफल करते हैं। विद्वद्वर्य ! ___ हम भिण्ड निवासियों को इस बातका हर्ष और सौभाग्य है कि आपने भदावर (भिण्ड ) प्रान्तीय वमुन्धराको अपनी योग्यता एवं विद्वता द्वारा अलंकृत किया है और कलकत्ता
SR No.010527
Book TitleLavechu Digambar Jain Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZammanlal Jain
PublisherSohanlal Jain Calcutta
Publication Year1952
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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