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________________ यह जीवन चरित नहीं पढ़ा है, ऐसे पाठकों के लाभार्थ संक्षेप में मुनि श्री के जीवन की मुख्य-मुख्य बातें यहां दी जा रही हैं। आशा है पाठकों को इस से विशेष लाभ होगा और मुनि श्री के आदर्श, पवित्र एवं प्रभावक जीवन से उन्हें. प्रेरणा मिलेगी। जन्म कुण्डली चलित चक्र - ... - . ... . - - जन्म और दीक्षा मुनिराज का जन्म- कार्तिक शुक्ला त्रयोदशी, रविवार, विक्रम सं० १९३४ को नीमच (मालवा) में हुआ था । आप के पिता श्री का नाम श्री गंगारामजी और माताजी का नाम श्री केशरां बाई था। आपका बचपन माता-पिता की वात्सल्यमयी गोद में बड़े ही लाड़-प्यार के साथ व्यतीत हुआ । योग्य उम्र होने पर आप ग्रामीण पाठशाला में अध्ययनार्थ प्रविष्ट हुए और वहां गणित, हिन्दी, उर्दू और कुछ अंग्रेजी भाषा का अध्ययन किया। युवावस्था और दीक्षा ग्रहण महापुरुष यकायक नहीं बनते, वरन् वे अपने पूर्वजन्म के कुछ विशिष्ट संस्कार-कतिपय विशेषताएँ लेकर अवतीर्ण होते हैं। इस प्राकृतिक नियम के अनुसार चरित नायक में वाल्यावस्था से ही कुछ विशेषताएँ थीं। आपमें ऐसे कछ सदरण विद्यमान थे, जिनसे आपकी असाधारणा टपकती थी । धर्म की और बचपन से ही आपकी विशेष अभिरुची थी। बाल्यावस्था एवं उगती जवानी में जब खेलने-खाने में, मौज-शौक में स्वर्ग का सुख अनुभव हुआ करता है तब आप इसके अपवाद थे। आप का अन्तःकरण विरक्ति के सहज संस्कारों से ओतप्रोत था। आप जल में कमल के समान, संसार-वास करते हुए भी भाव से विरक्त से रहते थे। इसका एक कारण पर्व
SR No.010520
Book TitleNirgrantha Pravachan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year
Total Pages787
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size51 MB
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