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(१३५) जैनतत्त्वादर्श. कारण के तंतुउँमां घट थवानो स्वजाव नथी. ते कारणथी जे तमे का हतुं के माटीथी घटज थाय बे, पटादि यता नथी, ते तो सर्व कारणगत स्वन्नाव मानवाथी सिद्ध थयेलानेज सिद्ध कलुं . आ पद अमारा मतने बाधक नथी. वली तमे जे कयुं हतुं के मगमा रंधावानो स्वनाव बे, कांगकु (कोरडू ) मां नथी, इत्यादि. तेपण कारणगत स्वनाव अंगीकार करतांज सर्व समीचीन थर जायने, जेम के एक कांगडु मग बे ते स्वकारणवशथी तेवा रूपवालो थयेल बे; हांडी, इंधन, कालादि सामग्रीनो संयोग बे तो पण रंधातो नथी, अने स्वन्नाव जे जे ते कारणथी अन्नेद ने तेथी सर्व वस्तु सकारणज . आ पद सिद्ध बे. इति क्रियावादिना मतनुं खमन. ___ हवे अक्रियावादिऊना मतमा जे यहावादि तेउनुं एवं केहेकुंडे के वस्तुऊना नियमपूर्वक कार्य कारणजाव नथी इत्यादि ते तेमनु केहेबुं कार्यकारणना विवेचनवाली बुद्धिना रहितपणाने सूचवे बे. कारण के कार्यकारणने प्रतिनियतपणानो संजव जे. ते कहिये लिये. शाबुक (देडका) श्री शावुक उत्पन्न थायडे ते निरंतर शावुकथीज थायडे, परंतु गोबर (गण) श्री यता नथी, अने गोबरथी जे शालुक उत्पन्न थायडे, ते निरंतर गोबरबीज उत्पन्न थायडे, परंतु शाबुकथी थता नथी.वली आ बंने जातनां देडकां शक्तिवर्णादि विचित्र,ताथी तेमजपरस्पर जात्यंतर होवाथी एकरूप पण नथी. वली अग्निथी जे अनि उत्पन्न थायजे तेपण निरंतर अग्निथीज उत्पन्न थायडे, परंतु अरणीना काष्ठथी उत्पन्न थतो नथी, अने अरणीना काष्ठथी जे अग्नि उत्पन्न थायडे ते निरंतर अरणीना काष्ठश्रीज उत्पन्न थायडे परंतु अग्निथी उत्पन्न यतो नथी. वली बीजयी केलां उत्पन्न थवां इत्यादि अनेक बाबतोमा परस्पर जिन्नता होवाथी तेनो खुलासो पण तेज. वती एक हकीकत एवी डे के जे केलां कंदथी उत्पन्न थायबे तेपण पर- . मार्थथी तो बीजबीज थायडे, एटले परंपराए तो बीजज कारण जे. तेवीज रीतें वड आदिनी शाखापण एकदेशथी उत्पन्न थती बतां परमार्थथी तो बीजबीज उत्पन्न थायजे. विशेष हकीक एवी डे के शाखाथी जे शाखा उत्पन्न थाय ने ते उत्पन्न थनारी शाखानी हेतु शाखा डे एम लोक व्यहार चालतो नथी, कारण के वडनुं बीजज सर्व शाखा, प्रशाखा