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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, छठा भाग २५१ के पास कुछ राजपुरुषों के साथ यह आदेश भेजा कि तुम्हारे गॉच में एक मीठे जल का कुआ है उसे शहर में भेज दो।
राजा के उपरोक्त आदेश को सुन कर सब लोग चकित हुए। वे सब विचार में पड़ गये कि इस आज्ञा को किस तरह से पूरी की जाय । इस विपय में भी उन्होंने रोहक से पूछा । रोहक ने उन्हें एक युक्ति बता दी। उन्होंने कुत्रा लेने के लिये आये हुए राजपुरुषों से कहा-ग्रामीण कुत्रा स्वभाव से ही डरपोक होता है। मजातीय के सिवाय यह किसी पर विश्वास नहीं करता। इसलिए इसको लेने के लिए किसी शहर के कुए को यहाँ भेज दो। उस पर विश्वास करके यह उसके साथ शहर में चला आयेगा। राजपुरुषों ने लौट कर राजा से गाँव वालों की बात कही । सुन कर राजा निरुत्तर हो गया।रोहक की बुद्धि कायह आठवॉ उदाहरण हुआ।
बनखण्ड-कुछ दिनों बाद राजा ने गाँव के लोगों के पास यह आदेश भेजा कि तुम्हारे गाँव के पूर्व दिशा में एक वनखण्ड (उद्यान) है । उसे पश्चिम दिशा में कर दो।
राजा के इस आदेश को सुनकर लोग चिन्ता में पड़ गये । उन्होंने रोहक से पूछा। रोहक ने उन्हें एक युक्ति बता दी। उसके अनुसार गाँव के लोगों ने बनखण्ड के पूर्व की ओर अपने मकान बना लिये और वे वहीं रहने लगे। इस प्रकार राजाज्ञा पूरी हुई देख कर राजपुरुषों ने राजा की सेवा में निवेदन कर दिया। राजा ने उनसे पूछा-गांव वालों को यह युक्ति किसने चतलाई ? राजपुरुषों ने कहा-रोहक नामक एक बालक ने उन्हें यह युक्ति बताई थी। रोहक की बुद्धि का यह नवां उदाहरण हुआ।
खीर--एक समय राजा ने, गांव के लोगों के पास यह प्राज्ञा भेजी कि बिना अग्नि खीर पका कर भेजो। राजा के इस अपूर्व आदेश को सुन कर सभी लोग चिन्तित हुए। उन्होंने इस