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________________ बोल नं० ६३७ उपाध्याय के पचीस गुण ए १८ एकल विहार क्या शास्त्र सम्मत है ? (११) प्रश्न ऐ ६४६ औत्पत्तिकी बुद्धि के सत्ताईस दृष्टान्त क ६०४ कल्प बीस साधु साध्वी के ६४० क्रिया पच्चीस ६२५ क्षेत्र परिमाण के तेईस भेद ६३१ ऐरवत क्षेत्र के आगामी चौबीस तीर्थकर ६२ ऐरवत क्षेत्र के आगामी चोबीस तीर्थङ्कर श्रौ ख ६१८ खुले मुँह कही गई भाषा सावध होती है या निरयद्य ? (१६) ग ६२७ गत उत्सपिणी के चोबीस तीर्थङ्कर [१०] पृष्ठ | बोल नं० च २१५ | ६०६ चतुरंगीय अ० (चार अङ्गों की दुर्लभता की बीस गाथाएं १४२ १६७ १७६ २४२ २१८ १७३ १५० १७६ १७ चरणविहि अध्ययन (उत्तराध्ययन ११ वॅ (०) को २१ गाथाएं १३४ चौबीस दण्डक छ ६४३ छत्रीस बोलों की मर्यादा ज ६३६ जात्युत्तर ( दूषणा भास) चौबीस पृष्ठ २६ १३० २०४ त ६३० तीर्थंकर चौबीस (भरत क्षेत्र के) आगामी उत्सर्पिणी के ६३१ तीर्थङ्कर चौबीस (ऐरवत क्षेत्र के ) आगामी उत्सर्पिलीके २२५ २०६ १६६ १६७ २८ तीर्थङ्कर चौबीस ऐरवत क्षेत्र में वर्तमान अवसर्पिणी के ६२६ तीर्थङ्कर चौबीस (वर्त मान अवसर्पिणी) का लेखा १७७ - १६६ तक १७६
SR No.010513
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1943
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size10 MB
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