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________________ प्रकारानुक्रमणिका बोल नं. पृष्ठ | बोल नं० की सरल विधि ग ६५७ अकर्म भूमि के तीस ४ २ आर्य क्षेत्र साढे पचीस २२३ भेद ३०७ | ६१८ आवश्यक क्रिया के १५३ अट्ठाईस नक्षत्र २८५ समय क्या साधु का ६५१ अट्ठाईस प्रकृतियां ध्यानादि करना मोहनीय कर्म की २४ उचित है (१२) १४३ ६५४ अट्ठाईस नब्धियां २८/६०७ आश्रय के बीस भेद २५ ६५२ अनुयोग देने वाले के अट्ठाईस गुण २८६/११ इक्कीस गुण श्रावक के ६१ ६०६ असमाधि के बीस स्थान २१ १२ इक्कीम प्रकार का प्रा धोवण ६४८ आकाश के सत्ताईस ६१३ इक्कीस शवन दोष ६८ नाम २४१ ६१६ इन्द्रियों के तेईस विषय ६२३ आचारांग द्वितीय और २४० विकार १७५ श्रुतस्कन्ध प्रथम चूलिका के दूसरे अ० के दूसरे १७ उत्तराध्ययन सूत्र के उ० मे वणित साधु के इवर्त सर्वे अ० की योग्य या अयोग्य इक्कीस गाथाएं स्थान तेईस १७० १०६ उत्तराध्ययन सूत्र के ६.२२ आचारांग नवम अ० तीसरे अ० की बीस पहले उ० की तेईस गाशाएं गाथाएं १६६ / १४९ उत्पत्तिया बुद्धि के श्रानुपूर्वी क सत्ताईस दृष्टान्त २४२ आनुपूर्वी कण्ठस्थ गुणने | ५६ उनतीस पाप सूत्र ३०५
SR No.010513
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1943
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size10 MB
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