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________________ २७ बोल नं० .. पृष्ठ बोल नं० ६४६ सूयगडांग सूत्र के ६५३ अट्ठाईस नक्षत्र २८८ " : चौदहवें अध्ययन की १५४ लब्धियाँ अट्ठाईस - २८ सत्ताईस गाथाए २३० | २६ वां बोला--२६-३०७ ६४७ सूयगडांग सूत्र के पाँचवें अध्ययन (पहले | ६५५ सूयगडांग सूत्र के • उद्देशे) की सत्ताईस महावीर स्तुति नामक 'छठे अध्ययन की २६ गाथाएं २३६ || गाथाएं २६६ ६४८ आकाश के सत्ताईस . ' नाम ६५६ पाप श्रुत के २६ भेद ३५ ६४६ औत्पत्तिकी बुद्धि के ३० वां वोल:--३०७-३१६ सत्ताईस दृष्टान्त २४२ | ६५७ अकर्म भूमि के २८ वां बोलः--२८३-२६६ तीस भेद ३०७ ६५० मतिज्ञान के अट्ठाईस ६५८ परिग्रह के तीस नाम ३१० भेद २८३ | ६५६ भिक्षाचाय के तीस ६५१ मोहनीय कर्म की ६५२ अनुयोग देने वाले के - तीस स्थान अट्ठाईस गुण २८६ पुस्तक मिलने का पताअगरचन्द भैगेदान सेठिया जैन पारमार्थिक संस्था, . . मोहल्ला मरोटीयां का बीकानेर (राजस्थान) ३१० -- . अट्ठाईस प्रकृतियाँ २४ | ६६० महामोहनीय कर्म के
SR No.010513
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1943
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size10 MB
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