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________________ [११] बोल नं0 पृष्ट बोल पृष्ट ६२७ तीर्थङ्कर चौबीस गत उत्सर्पिणी के १७६५३ नक्षत्र अदाईस २८८ १२६ तीर्थङ्कर चौबीस वर्त ६४१ नरक के दुःखों का मान अवसपिणी के १७७ वर्णन करने वाले 'नरय १०२ तीर्थङ्कर नाम कर्म बांधने । विभत्ति' अ०५ द्वितीय के बीस बोल ५ ३० को पचीस गाथाएं २१९ ६५७ तीस अकर्म भूमि ३०७ . ६४७ नरक के दुःखों का ६६० तीस बोल महामोह वर्णन करने वाले 'नरय नीय कर्म बांधने के ३१. विभत्ति' अ०५ प्रथम उ० की सत्ताईस गाथाएं २३६ ६३४ दण्डक चौबीस २०४ | १२१ निग्रह स्थानवाद में ६१६ दशवैकालिक के दशवे अ० हर हो जाने के स्थान की इक्कीस गाथाए १२६) बाईस १६२ ६३३ दशकालिक नवम १० दूसरे ३० की. E३६ पडिलेहणा के पच्चीस चौवीस गाथाएँ भेद ६१० दुःख विपाक सूत्र | ६१४ पदार्थ का ज्ञान नहीं. की कथाएं होने के इक्कीस कारण ७१ ६४४ देव वैमानिक के १५८ परिग्रह के तीस नाम ३१० छब्बीस भेद १२० परिषद वाईस १६० १०५ परिहार विशुद्धि चारित्र ६१ धर्म के वाईस विशेषण १५६ के बीस द्वार.. १६ ६.३५ धान्य के चौबीस | ६२६ पांच इन्द्रियों के तेईस विषय और २४० प्रकार विकार १७५ ११२ घोवण पानी इक्कीस १३ पांच महाव्रत की प्रकार का ६३ पच्चीस भावनाएं २१७ २१८ २०५
SR No.010513
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1943
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size10 MB
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