________________ 176 .. mrrrrrrrr wrir nummarrn amrrrrrr rrrrrrrr - श्री सेठिया जैन प्रस्वमाला दशवैकालिक सूत्र अध्ययन 6 उद्देशा 3 ( चोल न० 853) मायरियं अग्गिमिनाहिअग्गी, सुस्यूसमाणो परिजागरिजा / भालोइमं इंगिममेर नचा, जो छंदमारायई स पुरानो॥ 1 // आयारमहा विणयं पउंजे, सुस्म्समाणो परिगिज्झ बक्कं / नहोगइदं भभिकखमाणो, गुरु तु नासाययई स पुज्जो // 2 // रायणिएम विणयं परंजे, डहरापि भ जे परिभायजिहा। नीमत्तणे बट्टा सञ्चबाई, ग्वायवं वक्ककरे स पुज्जो // 3 // अन्नायउंछं घरई विमुद्धं, अवणहया समुभाणं च निच्चं / अलशं नो परिदेवइज्जा, लद्धंन विकत्थई स पुज्जो // 4 // संथारसिज्जासणभत्तपाणे, मप्पिच्छया भइलाभेऽवि संते / जो एवमप्पाणमभितोसइज्जा, संतोसपाहन्नरए स पुज्जो // 5 // सक्का सहेउं आसाइ कंटया, भभोमया उच्चापा नरेणं / अणासए जो सहिज्न कंटए, ईमए कमसरे स पुज्जो // 6 // मुहुरादुक्खा र इवंति कंटया, अओमया तेऽपि तमो मुग्दरा। वायादुरुत्ताणि दुरुद्धराणि, वेराणुबंधीणि मान्मयाणि / / 7 / / समावयंता वयणाभिघाया, कन्नं गया दुम्मणिभं जणंति / धम्मुत्ति किच्चा परमग्गसूरे, जिइंदिए जो साई स पुज्जो // 8 // अरण्णवायं च परम्मुहस्स, पञ्चरस्वओ परिणीभर भासं / ओहारिणिं अप्पिभकारिणिं च,भासंन भासिज्ज सयास पुज्जो।हा अलोलुए भक्कुहए भमाई, भपिसुणे मावि अदीणवित्ती / नोभावए नोऽवि प्रभावियप्पा,भकोउहल्ले असयास पुज्जो // 10 गुणेहि साहू अगुणेहिऽप्ताह, गिण्हाहि साहू गुणमुरऽप्साहू / विभाणिमा अप्पगमप्पएणं, जो रागदोसेहिं समोस पुज्जो॥११॥ तहेव डहरं च महल्लगं वा, इत्यी पुमं पन्वरगं गिहिं वा /