________________ श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला ommmmmmm भीत हुआ और मात्मघात करने की इच्छा करने लगा। तव पोट्टिल देव ने उसे प्रतिबोध दिया। शुभ अध्यवसाय से तेतलीपुत्र को जातिस्मरण ज्ञान उत्पन्न होगया और अपने पूर्वभव में ली हुई दीक्षा आदि के वृत्तान्त को जान कर उसने प्रव्रज्या ग्रहण की। कुछ समय पश्चात् उनको केवलज्ञान और केवलदर्शन उत्पन्न होगए। देवों ने दुन्दुभि वजा कर केवलज्ञान महोत्सव किया / कनकध्वज राजा भी वन्दना नमस्कार करने गया / तेतलीपुत्र केवली ने धर्मकथा कही / धर्यकथा सुन कर राजा कनकध्वज ने श्रावक व्रत अङ्गीकार किये / वहुत वर्षों तक केवली पर्याय का पालन कर तेतलीपुत्र मोक्ष में पधार गये। (15) नन्दीफल का दृष्टान्त पन्द्रहवां 'नंदीफला ज्ञात' अध्ययन-वीतराग देव के उपदेश से विषय का त्याग और सत्य अर्थ की प्राप्ति होती है। उसके विना हो नहीं सकती / यह बतलाने के लिए इस अध्ययन में नन्दीफल का दृष्टान्त दिया गया है। चम्पा नगरी में धन्ना सार्थवाह रहता था। एक समय वह महिच्छत्रा नाम की नगरी में व्यापार करने के लिए जाने लगा। उस ने शहर में घोषणा करवाई. कि जो कोई व्यापार के लिए मेरे साथ चलना चाहें वे चलें जिनके पास वस्त्र, पात्र, भाड़ा आदि नहीं है उनको वे सब चीजें मैं दूंगा और अन्य सारी मुविधायें मैं दूंगा / इस घोषणा को सुन कर बहुत से लोग धन्ना सार्थ - वाह के साथ जाने को तय्यारहए। कुछ दर जाने पर एफ.भटवी - पड़ी. धन्ना सार्थवाह सब लोगों को सम्बोधित कर कहने लगा कि.इस भटवी में फल फूल और पत्रों से युक्त बहुत से नन्दीक्ष हैं। उनके फल देखने में बड़े सुन्दर और मनोहर हैं,खाने में तत्काल .