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भी जैन सिदान्त पोल संग्रह, पार्षा भाग
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फर कहा-मापके लोभ के कारण कैसा अन्याय हुमा, कितनी निर्दोष तथा पवित्र मात्मानों को भयङ्कर विपत्तियों का सामना करना पड़ा है, यह भाप नहीं जानते। मेरे बहुत समझाने पर भी मापने शान्तिपूर्वक राज्य करते हुए मेरेवानोई राजा दधिवाहन पर चढ़ाई कर दी। फल स्वरूप वे जंगल में चले गए। रानी धारिणी का कोई पता ही नहीं है, उनकी लड़की को भापके किसी रथी ने यहाँलाकर बाजार में बेचा। उसे कितनी बार अपमानित होना पड़ा कितने कष्ट उठाने पड़े, यह आपको पिन्कुल मालम नहीं है। आज उसके हाथ से परम तपस्वी भगवान् महावीर कापारणा हुमा।
जिस राज्य के लिए मापने ऐसा अत्याचार किया, क्या वा मापके माय जायगा ? भापको निरपराध गजा दधिवाहन पर चढ़ाई करने, चम्पा की निर्दोष मजाकोलूटने और मारकाट मचाने काक्या अधिकारथा? मृगावती परम सती थी। उसका तेज इतना चमक रह थाकिशतानीक उसके विरुदकुछ न बोल सका अपनी भूल को स्वीकार करते हुए उसने कहा- मैंने गज्य के लोभ से चम्पा की निर्दोष प्रजा पर अत्याचार किया, यह स्वीकार करता हूँ, लेकिन तुम्हारी बहिन की लड़की से मेरी कोई शत्रुता न थी। दधिवाहन की तरह वह मेरी भी पुत्री है। अगर उसके विषय में मुझे कुछ भी मालूम होता तो उसे किसी प्रकार का कष्ट न उठाना पड़ता। खैर, अब उसे यहॉबुला लेना चाहिए।
शतानीकने उसी समय सामन्तों को बुलाया और चन्दनबाला को सन्मान पूर्वक लाने की प्राज्ञा दी।सामन्त गण पालकी लेकर धनावह सेठ के घर पहुँचे और चन्दनवाला को शतानीक का सन्देश सुनाया। चन्दनवाला ने उत्तर दिया- मैं अब महलों में जाना नहीं चाहती इस लिए भाप मुझे क्षमा करें। मौसाजी और मौसीजी ने मुझे बुला कर जो भपनास्नेह प्रदर्शित किया है उस