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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
(१३) तैजस तैजस बन्धन। . (१४) तैजस कार्मण वन्धन । (१५) कामण कामण बन्धन ।
(कर्मग्रन्थ पहला गाथा ३५ और ३७) (कर्मप्रकृति गाथा १) ८५७- तिथियों के नाम पन्द्रह
एकम से लेकर पूर्णिमा या अमावस्या तक पन्द्रह तिथियाँ हैं। चन्दपण्णत्ति में इनके नाम नीचे लिखे अनुसार दिए हैं
प्रचलित नाम दिन का नाम रात्रि का नाम (१) प्रतिपदा
पूर्वाग
उत्तमा (२) द्वितीया सिद्धमनोरम मुनक्षत्रा (३) तृतीया
मनोहर - एलावची (४) चतुर्थी यशोभद्र यशोधरा (५) पंचमी यशोधर सौमनसी (६) पष्ठी
सर्वकाम समेध श्रीभूता (७) सप्तमी इन्द्रमूर्धाभिषेक विजया (८) अष्टमी
सौमनस वैजयन्ती (8) नवमी
धनञ्जय
जयन्ती (१०) दशमी अर्थसिद्ध अपराजिता (११) एकादशी अभिजित् (१२) द्वादशी
अत्यसन
समाहारा (१३) त्रयोदशी शतंजय
तेजा (१४) चतुर्दशी अग्निवेश अतितेजा (१५) पञ्चदशी (पूर्णिमा) उपशम देवानन्दा
(चन्द्रप्राप्ति प्रामृत १० प्रतिप्रामृत १४) ८५८- कर्मभूमि पन्द्रह
जिन क्षेत्रों में असि (शस्त्र और युद्धविद्या) मसि (लेखन और