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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
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(१४) एक सिद्ध - एक एक समय में एक एक मोक्ष जाने
वाले एक सिद्ध कहलाते हैं ।
(१५) अनेक सिद्ध - एक समय में एक से अधिक मोक्ष जाने वाले अनेक सिद्ध कहलाते हैं। एक समय में अधिक से अधिक कितने मोक्ष जा सकते हैं। इसके लिए बतलाया गया है
बत्तीसा अडयाला सट्ठी बावत्तरी य योद्धव्वा । चुलसीई नउई उ दुरहियमट्टूत्तर सयं च ॥ भावार्थ - एक समय से आठ समय तक एक से लेकर वत्तीस तक जीव मोक्ष जा सकते हैं इसका तात्पर्य यह है कि पहले समय में जघन्य एक, दो और उत्कृष्ट बत्तीस जीव सिद्ध हो सकते हैं । इसी तरह दूसरे समय में भी जघन्य एक, दो और उत्कृष्ट बत्तीस और तीसरे, चौथे यावत् आठवें समय तक जघन्य एक, दो, उत्कृष्ट बत्तीस जीव सिद्ध हो सकते हैं । आठ समय के पश्चात् निश्चित रूप से अन्तरा पड़ता है |
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तेतीस से लेकर अड़तालीस जीव निरन्तर सात समय तक मोक्षजा सकते हैं। इसके पश्चात् निश्चित रूप से अन्तरा पड़ता है । ऊनपचास से लेकर साठ तक जीव निरन्तर छः समय तक मोक्ष जा सकते हैं इसके बाद अवश्य अन्तरा पड़ता है। इकसठ से बहत्तर तक जीव निरन्तर पाँच समय तक, तिहत्तर से चौरासी तक निरन्तर चार समय तक, पचासी से छयानवें तक निरन्तर तीन समय पर्यन्त, सत्तानवें से एक सौ दो तक निरन्तर दो समय तक मोक्षजा सकते हैं इसके बाद निश्चित रूप से अन्तरा पड़ता है । एक सौ तीन से लेकर एक सौ आठ तक जीव निरन्तर एक समय तक मोक्ष जा सकते हैं अर्थात् एक समय में उत्कृष्ट एक सौ आठ सिद्ध हो सकते हैं। इसके पश्चात् अवश्य अन्तरा पड़ता है। दो तीन यदि समय तक निरन्तर उत्कृष्ट सिद्ध नहीं हो सकने ।