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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह
उसके ऊपर चिता के आकार लकड़ियाँ चुन दी गई। जब उनमें आग लगाई गई वे दोनों सुरग के रास्ते बाहर निकल गए । ज्योतिषी के साथ राजकुमारी का विवाह हो गया। फिर दूसरी कथा शुरू की
व्रत रहित किसी अभिनेत्री ने नाटक में जाते हुए कड़े मांगे। किसी ने कुछ रुपए रखकर किराए पर दे दिए। अभिनेत्री की लड़की ने उन्हें पहिन लिया। नाटक समाप्त हो जाने पर भी वापिस नहीं लौटाया । मालिकों ने कड़ों को वापिस मांगा। मांगते मांगते कई साल बीत गए। इतने में लड़की बड़ी होगई।
कड़े हाथ से निकल न सके, अभिनेत्रीने मालिकों को कहा. कुछ रुपए और ले लो और इन्हें छोड़ दो । वेनमाने। तो क्या .. लड़की के हाथ काटे जाँय ? उसने कहा अच्छा। मैं इसी तरह
के दूसरे कड़े बनवाकर ला देती हूँ। मालिक फिर भी न माने । उन्होंने कहा वे ही कड़े लाओ। कड़े वापिस कैसे लौटाए जाँय ? जिससे लड़की के हाथ न कटें । मालिकों को क्या उत्तर दिया जाय ? दूसरे दिन उसने बताया, मालिकों से कहा जाय कि वे ही रुपए वापिस लौटा दो तो वे ही कड़े मिल जाएँगे। न तो वे ही रुपए वापिस लौटा सकेंगे न वे ही कड़े दिए जायँगे। इस तरह लड़की के हाथ बच जाएँगे और मालिकों को उत्तर भी मिल जायगा। ___ इस प्रकार की कहानियाँ कहते कहते उसे छः महीने बीत गए। छः महीने तक बराबर राजा उसी के महल में आता रहा। दूसरी रानियाँ उसके छिद्र ढूंढा करती थीं।
वह चित्रकार की लड़की अकेली एक कमरे में घुस कर जवाहरात और बहुमूल्य वस्त्रों को सामने रख कर स्वतः अपनी मात्मा की निन्दा करती थी। वह अपने आप को कहती