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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
'तू एक चित्रकार की लड़की है । ये तुम्हारे पिता के दिये हुए वस्त्र और आभरण हैं और यह राज्य लक्ष्मी है । ऊँचे ऊँचे कुल में पैदा हुई राजकुमारियों को छोड़ कर जो राजा तुम्हें मानता है इसके लिए घमंड मत करना ।' किंवाड़ बन्द करके वह प्रतिदिन इसी प्रकार किया करती थी । दूसरी रानियों ने उसे देख लिया। राजा के पैरों में गिर कर उन्होंने कहायह रोज कमरे में घुसकर उच्चाटन आदि करती है। यह आपको मार डालेगी। राजा ने एक दिन उसे स्वयं देखा और सारी बातें सुनी। राजा बहुत खुश हुआ और उसे पटरानी बना दिया। यह द्रव्य निन्दा हुई। साधु द्वारा की गई अपनी आत्मा की निन्दा भावनिन्दा है। वह प्रतिदिन विचार करे और आत्मा से कहे- हे जीव ! नरक तिर्यच आदि गतियों में घूमते हुए तूने किसी तरह मनुष्य भव प्राप्त कर लिया । सम्यग्दर्शन, ज्ञान
और चारित्र भी मिल गए। इन्हीं के कारण तुम सब के माननीय हो गए हो । अब घमण्ड मत करो कि मैं बहुश्रुत या उत्तम चारित्र वाला हूँ। (७) गर्दा- गुरु की साक्षी से अपने किये हुए पापों की निन्दा करना गो है। पतिमारिका (पति को मारने वाली)का उदाहरण-- ___ किसी जगह एक ब्राह्मण अध्यापक रहता था। उसकी भार्या युवती थी । वह विश्वदेवता को बलि देते समय अपने पति से कहती, मैं कौओं से डरती हूँ। उपाध्याय ने छात्रों को नियुक्त कर दिया। वे प्रति दिन धनुष लेकर बलि देते समय उसकी रक्षा करते थे। उन में से एक छात्र सोचने लगा- यह ऐसी भोलो और डरपोक तो नहीं है जो कौओं से डरे। वास्तव में बात कुछ और है। वह उसका ध्यान रखने लगा।
अन्न से अग्नि आदि का तर्पण करना वैश्वदेव बलि कहलाता है।