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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
ऊपर से मुंह को लीप दिया और ऐसी जगह रख दिया जहाँ
आती जाती हुई वही देख सके । दूसरी को पता लग गया। उसने रत्न निकाल कर उसी तरह घड़े को लीफ दिया। पहली को यह मालूम हो गया कि उसके रन चुरा लिए गए हैं। बताओ! यड़ा लीप देने पर भी यह केसे मालूम पड़ा।
दूसरे दिन बताया कि घड़ा काच का था। इसी लिए मालूम पड़ गया कि रब निकाल लिए गए हैं।
दूसरी कहानी शुरू की
एक राजा था, उसके पास चार गुणी पुरुष थे- ज्योतिपी, रथकार, सहस्त्रयोद्धा और वैद्य। उस राजा की एक बहुत सुंदर कन्या थो । उसे कोई विद्याधर उठा लेगया। किसी को मालूम न पड़ा कियर लेगया। राजा ने कहा- जो कन्या को ले आएगा वह उसी की हो जायगी । ज्योतिषी ने बता दिया,इस दिशा को गई है। रथकार ने आकाश में उड़नेवाला एक रथ तैयार किया। चारों उस स्थ में बैठ कर रवाना हुए। विद्याधर आया। सहस्रयोद्धा ने उसे मार डाला । विद्याधर ने मरते मरते लड़की का सिर काट डाला! वैद्य ने संजीवनी औषधि से उसे जीवित कर दिया। चारों उसे घर ले आए। राजा ने चारों को देदी। राजकुमारी ने कहा- मैं चार के साथ कैसे विवाह करूँ? अगर यही बात है तो मैं अग्नि में प्रवेश करती हूँ। जो मेरे साथ आग में घुसेगा, मैं उसी की हो जाऊँगी। - उसके साथ कौन अग्निमवेशकरेगा,लड़की किसे दी जायगी?
दूसरे दिन बताया-- ज्योतिषी ने ज्योतिष द्वारा यह जान लिया कि राजकुमारी की आयु अभी बाकी है। इसलिये वह अभी नहीं मरेगी। उसने अग्नि में प्रवेश करना मंजूर कर लिया। दुसरों ने नहीं । लड़की ने चिता के नीचे एक मुरङ्ग खुदवाई।