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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह
आया।दासी के पूछने पर रानी ने कहा-जिस ने उसे जीधित किया वह तो पिता है। जो साथ में जलने को तय्यार हुआ वह भाई है। जिसने खाना पीना छोड़ दिया था उसी को दी जानी चाहिए।
दासी ने दूसरी कहानी सुनाने के लिए कहा
वह बोली-- एक राजा के तलघर में कुछ सुनार मणि और रत्नों के उजाले में जेवर घड़ा करते थे। उन्हें वहाँ से बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी। उन में से एक ने पूछा- क्या समय है ? दूसरे ने कहा रात है। बताओ ! उसे किस तरह मालूम पड़ा? उसे तो सूरज चाँद कुछ भी देखने को नहीं मिलता था। दासी के पूछने पर उसने कहा आज तो नींद आती है। कल बताऊँगी। तीसरे दिन भी सजा सुनने के लिए आगया। दासी के पूछने पर रानी ने उत्तर दिया, उस सुनार को रतौंधी
आती थी। रात को नहीं दीखने से उसे मालूम पड़ गया। . दासी ने और कहानी सुनाने के लिए कहा । रानी कहने लगी- एक राजा के पास दो चोर पकड़ कर लाये गए। उसने उन्हें पेटी में बन्द करके समुद्र में फेंक दिया। कुछ दिन तो पेटी समुद्र में इधर उधर तैरती रही । एक दिन किसी पुरुष ने उसे देख लिया । निकाल कर खोला तो आदमियों को देखा। उन्हें पूछा गया- तुम्हें फैंके हुए कितने दिन हो गए। एक बोला यह चौथा दिन है । बताओ उसे कैसे मालूम पड़ा ? .
दासी के पूछने पर उसी तरह दूसरे दिन उसने जवाब दिया उस चोर को चौथिया बुखार आता था, इसीसे मालूम पड़ गया। ...फिर कहने पर दूसरी कहानी शुरू की- . . किसी जगह दो सौतें रहती थीं। एक के पास बहुत से रख थे। उसे दूसरी पर भरोसा नहीं था । हमेशा डर लगा रहता था, कहीं चुरा न ले । उसने उन रनों को एक घड़े में बन्द करके