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श्री सेठिया जैन पन्थमाला
• राजा बोला-मैं चौथा पैर कैसे हूँ ?
वह बोली- हर एक आदमी सोच सकता है, यहाँ मोर का पिच्छ कहाँ से आया? यदि कोई ले भी आया हो तो भी पहिले आँखों से तो देखा जाता है। वह बोला-वास्तव में मैं मूर्ख ही हूँ। राजा चला गया। पिता के जीम लेने पर वह लड़की भी चली गई।
राजा ने लड़की से शादी करने के लिए उसके माँ बाप को कहला भेजा। उन्होंने जवाब दिया,हम गरीब हैं। राजा का सत्कार कैसे करेंगे? राजा ने उसका घर धन से भर दिया। राजा और उस लड़की का विवाह हो गया। - लड़की ने दासी को पहिले ही सिखा दिया। जब राजा सोने के लिये आये तो तुम मुझसे कहानी सुनाने के लिए कहना। दासी ने वैसा ही किया। राजा जब सोने लगा तो उसने कहा रानीजी! जब तक राजाजी को नींद आवे तब तक कोई कहानी सुनाओ । वह सुनाने लगी- एक लड़की थी । उसे वरने के लिए तीन वर एक साथ आगए। लड़की के माँ बाप उन तीनों में से एक को भी जवाब नहीं दे सकते थे। उनमें से एक के साथ पिता ने सम्बन्ध स्वीकार कर लिया। दूसरे के साथ माता ने और तीसरे के साथ भाई ने। वे तीनों विवाह करने के लिए आगये। उसी रात में लड़की को साँप ने काट खाया और वह मर गई । वरों में से एक उसी के साथ जलने को तैयार हुआ। दूसरा अनशन करने लगा। तीसरे ने देवता की आराधना की और उस से संजीवन मंत्र प्राप्त किया और लड़की को जीवित कर दिया। फिर तीनों में प्रश्न खड़ा हुआ कि लड़की किसे दी जाय ? क्या एक ही कन्या दो या तीन को दी जा सकती है ?दासी ने कहा आप ही बताओ! वह बोली। आज तो नींद आ रही है,कल कहूँगी। कहानी के कुतूहल से दूसरे दिन भी राजा उसी रानी के महल