________________ 418 भी सेठिया जैनःअन्धमाका 732- नागकुमारों के दस अधिपति नागकुमार जाति के देवों में दो इन्द्र हैं- (1) धरणेन्द्र और (2) भूतानन्द। इन दोनों इन्द्रों के चारों दिशाओं में चार चार लोकपाल होते हैं। (1) पूर्व दिशा में कालवाल (2) दक्षिण में कोलवाल (3) पश्चिम में शैलपाल (4) उत्तर दिशा में शंखवाल / इस प्रकार धरणेन्द्र (नागकुमारेन्द्र, नागकुमारराज) और भूतानन्द (नागकुमारेन्द्र) ये दो इन्द्र और आठ लोकपाल, सब मिल कर नागकुमारों के दस अधिपति हैं। (भगवती श० 3 उ० 8) 733- सुपर्णकुमार देवों के दस अधिपति सुपर्णकुमार जाति के देवों के दो इन्द्र हैं- (1) वेणुदेव और (२)विचित्रपक्ष। इन दोनों इन्द्रों के चार चार लोकपाल (दिग्पाल) हैं। (1) पूर्व में वेणुदालि (2) दक्षिण में चित्र (3) पश्चिम में विचित्र (4) उत्तर में चित्रपक्ष। (भगवती शतक 3 उद्देशा 8) 734- विद्युत्कुमार देवों के दस अधिपति हरिकान्त और सुप्रभकान्त ये दो इनके इन्द्र हैं। इन दोनों के चार चार लोकपाल हैं- (1) पूर्व में हरिसह (2) दक्षिण में प्रभ (3) पश्चिम में सुप्रभ (4) उत्तर में प्रभाकान्त / (भगवती शतक 3 उद्देशा८) 735- अग्निकुमार देवों के दस अधिपति अग्निकुमार देवों के दो इन्द्र हैं-- (1) अग्निसिंह और (2) तेजप्रभ / इन दोनों इन्द्रों के चारों दिशाओं में चार चार लोक पाल हैं। (1) पूर्व दिशा में अग्नि माणव (2) दक्षिण दिशा में तेज (3) पश्चिम दिशा में तेजसिंह (4) उत्तर दिशा में तेजस्कान्त / (भगवती शतक 3 उद्देशा:८)