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भी सेठिया जैन ग्रन्थमाता
से रत्नावली हार के समान आकार बन जाय, वह रत्नावली तप कहलाता है। इसका आकार इस प्रकार है
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परिपाटी के तपस्या के दिन ३८४
और पार के दिन ८८ होते हैं अर्थात् १५ महीने और २२ दिन होते हैं। इस तप की चार परिपाटियां पांच वर्ष दो मास २८ दिन में पूर्ण होती हैं। यह तप श्री काली भार्या ने किया था। पारणा की विधि सुत्रानुसार भागे
रत्नावली तप की
बताई गई है।
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