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________________ श्री जैन सिद्धान्त पोल संग्रह ६८६-श्रेणिक राजा की दस रानियाँ . (१) काली (२) सकाली (३) महाकाली (४) कृष्णा (५) सुकृष्णा (६) महाकृष्णा (७) वीरकृष्णा (८) रामकृष्णा (६) प्रियसेनकृष्णा (१०) महासेनकृष्णा। (१) काली रानी- इस अवसर्पिणी काल के चौथे आरे में जब श्रमण भगवान् महावीर स्वामी विराजमान थे उस समय "चम्पा नाम की एक नगरी थी । वहाँ कोणिक नाम का राजा राज्य करता था । कोणिक राजा की छोटी माता एवं श्रेणिक राजा की भार्या काली नाम की महारानी थी। वह अतिसुकुमाल और सवोक सुन्दर थी। ___एक समय श्रमण भगवान् महावीर स्वामी केवलपर्याय का पालन करते हुए, धर्मोपदेश द्वारा भव्य प्राणियों को प्रतिबोष देते हुए और ग्रामानुग्राम विहार करते हुए वहाँ पधार गये। भगवान् के आगमन को जान कर काली. देवी अत्यन्त हर्षित हुई । कौटुम्बिक पुरुषों (नौकरों) को बुला कर धार्मिक रथ को तय्यार करने के लिए आज्ञा दी । रथ सज्जित हो जाने पर उसमें बैठ कर काली रानी भगवान के दर्शन करने गई । भगवान् ने समयानुसार धर्मोपदेश दिया ।धर्मोपदेश को श्रवण कर काली रानी को बहुत हर्ष एवं सन्तोष हुआ। उसका हृदयकमल विकसित हो गया । जन्म जरा मृत्यु आदि दुःखों से व्याप्त संसार से वैराग्य भाव उत्पन्न हो गया। वह भगवान् को वन्दना नमस्कार कर इस प्रकार कहने लगी कि हे भगवन् ! आपने जो निर्ग्रन्थ प्रवचन फरमाये हैं, वे सत्य हैं। मुझे उन पर अतिशय श्रद्धा, प्रतीति एवं रुचि उत्पन्न हुई है। इतना ही नहीं अपितु कोणिक राजा से पूछ कर आपके पास मुण्डित होऊँगी यावत् दीक्षा ग्रहण करूँगी।
SR No.010510
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1942
Total Pages490
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size17 MB
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