________________
भीजैन सिद्धान्त बोल संग्रह :
२३
जीत भी जाय, किन्तु व्यर्थ गंवाया हुआ मनुष्य भव मिलना तो उपरोक्त घटना की अपेक्षा भी अति दुर्लभ है। (५) एक धनी सेठ के पास बहुत से रन थे। उसके परदेश चले जाने पर उसके पुत्रों ने उन रनों में से बहुत रन दूसरे वणिकों को अल्प मूल्य में बेच डाले । उन रनों को लेकर वे वणिक अन्यत्र चले गये। जब वह सेठ परदेश से वापिस लौटा
और उसे यह बात मालूम हुई तो उसने अपने पुत्रों को बहुत उपालम्भ दिया और रत्नों को वापिस लाने के लिए कहा। वे लड़के उन रत्नों को लेने के लिए चारों तर्फ घूमने लगे। क्या वे लड़के उन सब रत्नों को वापिस इकट्ठा कर सकते हैं ? यदि कदाचित् वे दैवप्रभाव से उन सब रनों को फिर से इकट्ठा कर भी लें किन्तु धर्म ध्यानादि क्रिया न करते हुए व्यर्थ गंवाया हुआ मनुष्य जन्म पुनः मिलना बहुत मुश्किल है। (६) एक भिक्षुक ने एक रात्रि के अन्तिम पहर में यह स्वम देखा कि वह पूर्णमासी के चन्द्रमा को निगल गया। उसने वह स्वम दूसरे भिक्षुकों से कहा । उन्होंने कहा तुमने पूर्ण चन्द्र देखा है। अतः आज तुम्हें पूर्णचन्द्र मण्डल के आकार रोट (पूड़ी या बड़ी रोटी) मिलेगा तदनुसार उस भिक्षुक को उस दिन एक रोट मिल गया। उसी रात्रि में और उसी ग्राम में एक राजपूत (क्षत्रिय) ने भी ऐसा ही स्वम देखा। उसने स्वम पाठकों के पास जाकर उस स्वम का अर्थ पूछा। उन्होंने स्वम शास्त्र देख कर बतलाया कि तुम्हें सम्पूर्ण राज्य की प्राप्ति होगी। दैवयोग से ऐसा संयोग हुआ कि अकस्मात् उस ग्राम के राजा का उसी दिन देहान्त हो गया। उसके कोई पुत्र नथा।अतः एक हथिनी के सूंड में फूल माला पकड़ा कर छोड़ा गया कि जिसके गले में यह माला डाल देगी वही राजा होगा। 'जन समूह में घूमती हुई हथिनी उसी