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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
तीर्थङ्कर के संघ के लिए बनाया जाता है तो वह प्रथम और अन्तिम तीर्थ डुर के संघ के लिए अकल्प्य है। बीच के बाईस तीर्थरों के साधु, साध्वी उसे ले सकते हैं। यदि बीच के बाईस तीर्थङ्करों के संघ को उद्दिष्ट किया जाता है तो वह सभी के लिए अकल्प्य है। बीच में भी यदि दूसरे तीसरे आदि किसी खास तीर्थडुर के संघ को उद्दिष्ट किया जाता है तो प्रथम, अन्तिम
और उद्दिष्ट अर्थात् जिसके निमित्त से बनाया हो उसे छोड़कर बाकी सब के लिए कल्प्य है। यदि अन्तिम तीर्थङ्कर के संघ को उद्दिष्ट किया जाय तो प्रथम और अन्तिम को छोड़ बाकी सब के लिए कल्प्य है। __ (ख) प्रथम तीर्थडूर के साधु अथवा साध्वियों के लिए बनाया गया आहार प्रथम तथा अन्तिम तीर्थङ्कर के किसी साधु या साध्वी को नहीं कल्पता । बीच वालों को कल्पता है। मध्यम तीर्थङ्कर के साधु के लिए बनाया गया आहार मध्यम तीर्थङ्करों की साध्वियों को कल्पता है । मध्यम तीर्थङ्कर के साधु, प्रथम तथा अन्तिम तीर्थङ्कर के साधु और साध्वियों को नहीं कल्पता। मध्यम में भी जिस तीर्थङ्कर के साधु या साध्वी को उद्दिष्ट करके बनाया गया है उसे छोड़ कर बाकी सब मध्यम तीर्थङ्करों के साधु तथा साध्वियों को कल्पना है । अन्तिम तीर्थङ्कर के साधु अथवा साध्वियों के लिए बना हुआ आहार प्रथम और अन्तिम तीर्थडुरों के साधु, साध्वियों को नहीं कल्पता।बाकी सब बाईस तीर्थडुरों के साधु, साध्वियों को कल्पता है। यदि सामान्य रूप से साधु, साध्वियों के लिए आहार बनाया जाय तो किसी को नहीं कल्पता । यदि सामान्य रूप से सिर्फ साधुओं के लिए बनाया जाय तो प्रथम और अन्तिम तीर्थङ्कर को छोड़ बाकी मध्यम तीर्थङ्करों की साध्वियों को कल्पता है। इसी प्रकार