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को जैनसिद्धान्त बोल संग्रह
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उपरोक्त दस स्वम देख कर भगवान महावीर स्वामी जागृत हुए । इन दस स्वमों का फल इस प्रकार है(१) प्रथम स्वम में पिशाच को पराजित किया। इसका यह फल है कि भगवान् महावीर मोहनीय कर्मको समूल नष्ट करेंगे। (२) श्वेत पत वाले पुंस्कोकिल को देखने का यह फल है कि श्रमण भगवान् महावीर स्वामी शीघ्र ही शुक्ल ध्यान को प्राप्त कर विचरेंगे। (३) विचित्र पक्ष वाले पुंस्कोकिल को देखने का यह फल है कि श्रमण भगवान् महावीर स्वामी विचित्र (विविध विचार युक्त) स्वसमय और परसमय को बतलाने वाले द्वादशाङ्गी रूप गणि पिटक काकथन करेंगे।द्वादशाङ्गके नाम इस प्रकार हैं(१)आचाराङ्ग(२) सूत्रकृताक (सूयगडांग)(३) स्थानाङ्ग(ठाणांग) (४) समवायाङ्ग (५)व्याख्या प्रज्ञप्ति (भगवती सूत्र)(६) ज्ञाताधर्मकथाङ्ग (७) उपासक दशा (८) अन्तकृदशाङ्ग (अन्तगड) (६) अनुत्तरौपपातिक (अनुत्तरोववाई) (१०) प्रश्नव्याकरण (११) विपाक सूत्र (१२) दृष्टिवाद। (४) सर्वरत्नमय मालायुगल (दो माला) को देखने का यह फल है कि श्रमण भगवान् महावीर स्वामी केवलज्ञानी होकर सागार धर्म (श्रावक धर्म) और अनगार धर्म (साधु धर्म) की प्ररूपणा करेंगे। (५) श्वेत गायों के झुण्ड को देखने का यह फल है कि श्रमण भगवान् महावीर स्वामी के (१) साधु (२) साध्वी (३) श्रावक (४) श्राविका रूप चार प्रकार का संघ होगा। (६)पासरोवर के देखने का यह फल होगा कि श्रमण भगवान् महावीर खामी भवनपति, वाणव्यन्तर, ज्योतिषी और वैमानिक इन चार प्रकार के देवों से परिवेष्टित रहेंगे और उन्हें धर्म