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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
(हरिभद्रीयावश्यक भाग १)(प्रवचनसारोद्धार द्वार ११०)
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वर्तमान अवसर्पिणी के नौ वासुदेवों के नाम निम्न लिखित हैं।
(१) त्रिपृष्ठ (२) द्विपृष्ठ (३) स्वयम्भू (४) पुरुषोत्तम (५) पुरुषसिंह (६) पुरुषपुण्डरीक (७) दत्त (८) नारायण (राम का भाई लक्ष्मण) (8) कृष्ण।
वासुदेव, प्रतिवासुदेव पूर्वभव में नियाणा करके ही उत्पन्न होते हैं। नियाणे के कारण वे शुभगति को प्राप्त नहीं करते। ६४८- प्रतिवासुदेव नौ ___ वासुदेव जिसे जीत कर तीन खण्ड का राज्य प्राप्त करता है उसे प्रतिवासुदेव कहते हैं। वे नौ होते हैं। वर्तमान अवसर्पिणी के प्रतिवासुदेव नीचे लिखे अनुसार हैं
(१) अश्वग्रीव (२) तारक (३) मेरक (४) मधुकैटभ (इनका नाम सिर्फ मधु है, कैटभ इनका भाई था। साथ साथ रहने से मधुकैटभ नाम पड़ गया) (५) निशुम्भ (६) बलि (७) प्रभाराज अथवा प्रह्लाद (८) रावण (6) जरासन्ध ।
(समवायांग १५८)(प्रवचनसारोद्धार द्वार ३११) ६४६- बलदेवों के पूर्व भव के नाम
अचल आदि नौ बलदेवों क पूर्वभव में क्रमशः नीचे लिखे नौ नाम थे
(१) विषनन्दी (२) सुबन्धु (३) सागरदत्त (४) अशोक (५) ललित (६) वाराह (७)धर्मसेन (८) अपराजित (8) राजललित।
(समवायांग १५८) ६५०- वासुदेवों के पूर्वभव के नाम
(१) विश्वभूति (२) पर्वतक (३) धनदत्त (४) समुद्रदत्त (५) ऋषिपाल (६) प्रियमित्र (७) ललितमित्र (८) पुनर्वसु (8) गंगदत्त ।
(समवायांग १५८)