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श्री सेठिया जैन मन्थमाला
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• वातित गण (७) कामड्डि गण (E) मानव गण () कोटिक गण।
(ठाणांग, सत्र ६८०) ६२६-मनःपर्ययज्ञान के लिए आवश्यक नौ बातें .: मनःपर्ययज्ञान उत्पन्न होने के लिए नीचे लिखी नौ बातें
जरूरी हैं... (१) मनुष्यभव (२) गर्भज (३) कर्मभूमिज (४) संख्यात
वर्ष की आयु (५)पर्याप्त (६) सम्यग्दृष्टि (७) संयम (८) अप्रमत्त ..(8) ऋद्धिप्राप्त आये।
___(नन्दी, सूत्र १. ) ६२७- पुण्य के नौ भेद ... शुभ कर्मों के बन्ध को पुण्य कहते हैं। पुण्य के नौ भेद हैं। अन्नं पानं च वस्त्रं च, ग्रालयः शयनासनम् ।
शुश्रूषा वन्दनं तुष्टिः, पुण्यं नवविध स्मृतम् ॥ (१) अन्नपुण्य- पात्र को अन्न देने से तीर्थङ्कर नाम वगैरह शुभ प्रकृतियों का बँधना।। (२) पानपुण्य- दूध, पानी वगैरह पीने की वस्तुओं को देने
से होने वाला शुभ बन्ध ।। . (३) वस्त्रपुण्य- कपड़े देने से होने वाला शुभ बन्ध । (४) लयनपुण्य- ठहरने के लिए स्थान देने से होने वाला शुभ कर्मों का बन्ध । (५) शयनपुण्य- विछाने के लिए पाटा बिस्तर और स्थान
आदि देने से होने वाला पुण्य ।। (६) मनःपुण्य- गुणियों को देख कर मन में प्रसन्न होने से शुभ कर्मों का बँधना। (७) वचनपुण्य- वाणी के द्वारा दूसरे की प्रशंसा करने से होने वाला शुभ बन्ध। (E) कायपुण्य-शरीर से दूसरे की सेवा भक्ति आदि करने से