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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
के देव, तीसरी पृथ्वी के नारक, माहेन्द्र कल्प के देव, सनत्कुमार कल्प के देव और दूसरी पृथ्वी के नारक क्रमशः असंख्यात गुणे हैं। ईशानकल्प के देव उनसे असंख्यातगुणे हैं। ईशानकल्प की देवियाँ उनसे संख्यातगुणी अर्थात् बत्तीसगुणी हैं। सौधर्म कल्प के देव उनसे संख्यातगुणे हैं। स्त्रियाँ उनसे संख्यात अर्थात् बत्तीसगुणी । भवनवासी देव उनसे असंख्यातगुणे हैं. खियाँ उनसे संख्यात अर्थात् बत्तीसगुणी । रत्नप्रभा पृथ्वी के नारक उनसे असंख्यातगुणे हैं। वाणव्यन्तर देव पुरुष उनसे असंख्यातगुणे हैं, स्त्रियाँ उनसे संख्यातगुणी । ज्योतिषी देव उनसे संख्यातगुणे तथा ज्योतिषी देवियाँ उनसे बत्तीसगुणी हैं। (८) सभी जाति के भेदों का दूसरों की अपेक्षा से-- अन्तीपों के मनुष्य स्त्री पुरुष सब से थोड़े हैं । देवकुरु उत्तरकुरू, हरिवर्ष रम्यकवर्ष, हैमवत हैरण्यवत के स्त्री पुरुप उनसे उत्तरोत्तर संख्यातगुणे हैं। भरत और ऐरावत के पुरुष संख्यातगुणे हैं, भरत और ऐरावत की स्त्रियाँ उनसे संख्यातगुणी, पूर्व विदेह और पश्चिमविदेह के पुरुष उनसे संख्यातगुणे तथा स्त्रियाँ पुरुषों से संख्यातगुणी हैं । इसके बाद अनुत्तरोपपातिक, ऊपर के ग्रैवेयक, बीच के ग्रैवेयक, नीचे के ग्रैवेयक, अच्युतकल्प, आरणकल्प, प्राणतकल्प और आनतकल्प के देव उत्तरोत्तर संख्यातगुणे हैं । उनके बाद सातवीं पृथ्वी के नारक, छठी पृथ्वी के नारक, सहस्रार कल्प के देव, महाशुक्र कल्प के देव, पाँचवीं पृथ्वी के नारक, लान्तक कल्प के देव, चौथी पृथ्वी के नारक, ब्रह्मलोक कल्प के देव, तीसरी पृथ्वी के नारक, माहेन्द्र कल्प के देव, सनत्कुमार कल्प के देव, दूसरी पृथ्वी के नारक, अन्तीप के नपुंसक उत्तरोत्तर असंख्यातगुणे हैं। देवकुरु उत्तरकुरु, हरिवर्षे रम्यकवर्ष, हैमत्रत हैरण्यवत, भरत ऐरावत, पूर्वविदेह पश्चिम